Pushya Nakshatra 2022: ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्रों के बारे में बताया गया है। इनमें से कुछ नक्षत्र शुभ तो कुछ अशुभ हैं। चंद्रमा जब इन 27 नक्षत्रों में चक्कर लगा लेता है तो इसे एक चंद्रमास कहते हैं। ये सभी 27 नक्षत्र 12 राशियों के अंतर्गत आते हैं।
उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र में ग्रह-नक्षत्रों का विशेष महत्व बताया गया है। कुल 27 नक्षत्र ज्योतिष में बताए गए हैं। इन सभी नक्षत्रों का आकार-प्रकार भी वैदिक ज्योतिष में बताया गया है। इनमें से कुछ नक्षत्र बहुत शुभ है तो कुछ अशुभ भी हैं। इन सभी में पुष्य (Pushya Nakshatra 2022) को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। इसे खरीदी आदि शुभ कार्यों के लिए भी बहुत खास माना जाता है। इस बार 18 अक्टूबर, मंगलवार को पुष्य नक्षत्र का शुभ योग बन रहा है। आगे जानिए इ नक्षत्र से जुड़ी खास बातें…
आठवां नक्षत्र है पुष्य
ज्योतिष शास्त्र में बताए गए कुल 27 नक्षत्रों में से आठवां नक्षत्र पुष्य है। ये नक्षत्र हर महीने आता है। ये नक्षत्र जिस दिन होता है, उसी के अनुसार इसका नाम होता है जैसे गुरुवार को पुष्य नक्षत्र होने पर गुरु पुष्य और रविवार को होने पर रवि पुष्य कहलाता है। इस बार 18 अक्टूबर, मंगलवार को पुष्य नक्षत्र होने से ये मंगल पुष्य कहलाएगा। चंद्रमा 27 दिन और कुछ घंटों के अंदर इन सभी 27 नक्षत्रों का चक्कर लगाता है। ऐसा होने पर एक चंद्रमास पूरा हो जाता है।
खगोल शास्त्र में पुष्य नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष में पुष्य के आकार और स्थिति के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। आकाश में पुष्य नक्षत्र तारा समूहों के गुच्छ (पुंज) के रूप में दिखाई देता है। इसका गणितीय विस्तार 3 राशि 3 अंश 20 कला से 3 राशि 16 अंश 40 कला तक है। यह नक्षत्र विषुवत रेखा से 18 अंश 9 कला 56 विकला उत्तर में स्थित है। ये नक्षत्र पृथ्वी से लगभग 180 प्रकाश वर्ष दूर है। पुष्य नक्षत्र कर्क तारामंडल का भाग है जो कैकड़े की तरह माना गया है। पृथ्वी से इसकी दूरी लगभग 450 प्रकाश वर्ष दूर है अर्थात उसका प्रकाश यहां तक आने में 450 साल लग जाते हैं।
चंद्रमा की पत्नी हैं ये नक्षत्र
धर्म ग्रंथों में इन 27 नक्षत्रों को चंद्रमा की पत्नी बताया गया है, जो दक्ष प्रजापति की पुत्रियां हैं। चंद्रमा प्रतिदिन इन 27 नक्षत्रों यानी पत्नियों में से किसी एक साथ संयोग करता है। रोहिणी नक्षत्र को चंद्रमा की सबसे प्रिय पत्नी बताया गया है। जब चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र के साथ होता है तो यह उच्च का हो जाता है यानी इसके शुभ फल अधिक हो जाते हैं।
ये हैं 27 नक्षत्र
अश्विन, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती।
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