Khatu Mela 2022: किस मुगल बादशाह ने तोड़ा था भगवान खाटूश्याम का मंदिर, दोबारा इसे किसने बनवाया?

राजस्थान (Rajasthan)  के सीकर (Sikar) के निकट स्थित खाटूश्याम मंदिर (Khatushyam Temple) में इन दिनों भक्तों का तांता लगा हुआ है, कारण है यहां लगने वाला लक्खी मेला (Lakkhi Mela 2022) जिसे खाटू मेला (Khatu Mela 2022) भी कहा जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 8, 2022 8:56 AM IST

उज्जैन. 6 मार्च से शुरू हुआ खाटू मेला (Khatu Mela 2022) 15 मार्च तक रहेगा। इस दौरान लाखों की संख्या में भक्त यहां आकर बाबा श्याम के चरणों में हाजिरी लगाएंगे। धर्म ग्रंथों के अनुसार खाटू में पूजे जाने वाले बाबा श्याम का मूल नाम बर्बरीक (barbareek) है, जो घटोत्कच (Ghatotkach) और मोरवी के पुत्र थे। महाभारत के युद्ध के समय बर्बरीक ने भी युद्ध में भाग लेने की बात की थी। बर्बरीक ने युद्ध में हारने वाले की तरफ से लड़ने की बात कही। इस पर श्रीकृष्ण ने वेष बदलकर बर्बरीक से शीश का दान मांग लिया। शीश को महाभारत के युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने रूपवती नदी में बहा दिया था। बाद में ये शीश बहकर श्यामकुंड में आया था। 

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ये है मंदिर से जुड़ी मान्यता
मान्यता के अनुसार करीब 995 साल पहले एकादशी के दिन बाबा का शीश श्यामकुंड में मिला था। यहां पर कुएं के पास एक पीपल का पेड़ था। यहां पर आकर गायों का दूध स्वत: ही झरने लगता था। गायों के दूध देने से गांव वाले हैरत में थे। गांव वालों ने जब उस जगह खुदाई की तो बाबा श्याम का शीश मिला। शीश को चौहान वंश की नर्मदा कंवर को सौंप दिया गया। बाद में विक्रम संवत 1084 में इस शीश की स्थापना मंदिर में की गई। तब देवउठनी एकादशी थी।

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औरंगजेब में तोड़ दिया था मंदिर

भारत में जब मुगलों का राज था, उस समय विक्रम संवत 1736 में औरंगजेब में खाटूश्याम के मंदिर पर आक्रमण कर इसे तोड़ दिया। तब भक्तों न बाबा श्याम की प्रतिमा को नजदीक स्थित शिव मंदिर में छिपा दिया था। औरंगजेब की मौत के करीब 40 साल बाद बाबा श्याम का नया मंदिर बनवाया गया। इसकी स्थापना 1777 में जोधपुर राजपरिवार ने करवाई थी। नया मंदिर पुराने मंदिर से 150 मीटर की दूरी पर बनवाया गया। धीरे-धीरे ये मंदिर विशाल रूप ले चुका है। वर्तमान मंदिर इसी का स्वरूप है।

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