Raksha Bandhan 2022: धर्म ग्रंथों में बताए गए 10 भाई-बहन, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं

हिंदू धर्म में कई ऐसे त्योहार हैं जो हजारों सालों में मनाए जा रहे हैं। इनकी शुरूआत कैसे हुई, इसके बारे में कई मान्यताएं और कथाएं प्रचलित हैं। रक्षाबंधन भी एक ऐसा ही त्योहार है। ये त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

Manish Meharele | Published : Aug 9, 2022 1:32 PM IST / Updated: Aug 11 2022, 09:14 AM IST

उज्जैन. इस बार पंचांग भेद होने के कारण रक्षाबंधन का पर्व 11 व 12 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन का भाई-बहनों को बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में कई ऐसे भाई बहनों का वर्णन मिलता है जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। जैसे श्रीराम और दुर्योधन की बहन की बहन के बारे शायद ही किसी को पता हो। रक्षाबंधन के मौके पर हम आपको धर्म ग्रंथों में बताए गए  कुछ ऐसे ही भाई-बहनों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में कम लोग जानते हैं...

1. श्रीराम की बहन शांता
वाल्मीकि रामायण और श्रीरामचरित मानस में तो श्रीराम की बहन का कोई वर्णन नहीं मिलता, लेकिन दक्षिण भारत में प्रचलित कथाओं के अनुसार श्रीराम की एक बड़ी बहन थीं, जिनका नाम शांता था। राजा दशरथ ने उसे अपने मित्र अंगदेश के राजा रोमपद को दे दिया था। शांता का विवाह ऋषि ऋषि श्रृंग से हुआ था। ऋषि श्रृंग ने ही राजा दशरथ का पुत्रकामेष्ठि यज्ञ पूर्ण करवाया था, जिसके फलस्वरूप श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।

2. नागों की बहन मनसा
महाभारत के अनुसार ऋषि कश्यप की पत्नी कद्रू ने उनसे 1 हजार बलशाली सर्पों की माता होने का वरदान मांगा था, जिसके फल स्वरूप शेषनाग, नागराज वासुकि, तक्षक आदि नागों का जन्म हुआ। इन नागों की एक बहन भी थी, जिसका नाम जरत्कारू था। जरत्कारू को ही मनसा भी कहा जाता है। मनसा के पुत्र आस्तिक मुनि ने ही जनमेजय का नागदाह यज्ञ रुकवाया था।

3. रावण की बहन शूर्पणखा
रावण की बहन शूर्पणखा के बारे में तो सभी जानते हैं। मगर ये बात बहुत कम लोगों को पता है कि जब रावण विश्व विजय करने निकला तो उसके हाथों शूर्पणखा के पति विद्युतजिव्ह का वध भी हो गया। तब मन ही मन शूर्पणखा ने रावण को श्राप दिया था कि मेरे ही वजह से तुम्हारा सर्वनाश होगा।

4. कंस की बहन देवकी
कंस की बहन देवकी के बारे में भी सभी जानते हैं। देवकी का विवाह कंस ने वसुदेव के साथ बड़े ही धूम-धाम से करवाया। जब कंस देवकी को विदा कर रहा था, तभी आकाशवाणी हुई कि “देवकी का आठवां पुत्र ही तुम्हारा वध करेगा।“ ये सुनकर कंस ने वसुदेव और देवकी को बंदी बना लिया। आकाशवाणी के अनुसार देवकी के आठवें पुत्र यानी श्रीकृष्ण के द्वारा ही कंस की मृत्यु हुई।

5. यमराज की बहन यमुना
धर्म ग्रंथों के अनुसार, यमराज और यमुना सूर्यदेव की संताने हैं। यमराज ने तपस्या करके ब्रह्देव को प्रसन्न किया और अपने लिए उचित स्थान मांगा। ब्रह्मदेव ने उन्हें यमलोक का राजा बना दिया। वहीं यमुना किसी बात पर रुठकर धरती पर आ गई और नदी में बदल गई। भाई दूज पर यमराज और यमुना की विशेष पूजा की जाती है।

6. शनिदेव की बहन भद्रा
ये दोनों भी सूर्यदेव की ही संतान है। शनिदेव को ग्रहों का न्यायाधीश कहा जाता है वहीं भद्रा का स्वरूप अत्यंत विकराल है। जन्म लेते ही भद्रा संसार को खाने दौड़ी ये देखकर सभ देवता आदि डर गए। तब ब्रह्मा ने भद्रा के लिए एक समय निश्चित कर दिया। 11 करण में से एक विष्टि भद्रा का ही रूप है। 

7. दुर्योधन की बहन दु:शला
महाभारत के अनुसार, गांधारी के 100 पुत्रों के अलावा एक पुत्री भी थी, जिसका नाम दु:शला था। इसका विवाह धृतराष्ट्र ने जयद्रथ से करवाया था। जयद्रथ का वध अर्जुन ने किया था। एक बार जब द्रौपदी वन में अकेली थी तब जयद्रथ ने उसका हरण कर लिया था। क्रोधित होकर पांडवों ने उसका सिर मूंडकर उसे जीवित छोड़ दिया था। अभिमन्यु के वध में जयद्रथ की प्रमुख भूमिका थी।

8. श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा
भगवान श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था। बलराम सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से करना चाहते थे लेकिन श्रीकृष्ण अर्जुन से। तब श्रीकृष्ण ने ही अर्जुन को सुभद्रा हरण का रास्ता दिखाया था। अभिमन्यु सुभद्रा का ही पुत्र था। उड़ीसा का  पुरी में हर साल भगवान श्रीकृष्ण के साथ बलराम और सुभद्रा की विश्व प्रसिद्ध यात्रा निकाली जाती है।

9. कृपाचार्य की बहन कृपी
महाभारत के अनुसार, कृपाचार्य हस्तिनापुर के कुलगुरु थे। उनकी एक बहन भी थीं, जिनका का नाम कृपी था। भीष्म के पिता राजा शांतनु को एक दिन वन में ये दोनों भाई-बहन मिले थे। इसलिए इनका पालन-पोषण उन्होंने ही किया था। कृपी का विवाह गुरु द्रोणाचार्य से हुआ था। महाबलशाली अश्वत्थामा कृपी का ही पुत्र था।

10. धृष्टद्युम्न की बहन द्रौपदी
महाभारत के अनुसार, राजा द्रुपद ने गुरु द्रोणाचार्य से बदला लेने के लिए एक यज्ञ करवाया था। उसी यज्ञ से अग्नि से पहले धृष्टद्युम्न और बाद में द्रौपदी का जन्म हुआ। धृष्टद्युम्न ही पांडवों का सेना का सेनापति था। धृष्टद्युम्न ने ही गुरु द्रोणाचार्य का वध किया था। युद्ध समाप्त होने के बाद धृष्टद्युम्न अश्वत्थामा के हाथों मारा गया था।
 

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