Sammed Shikhar Terth: क्यों खास है सम्मेद शिखर तीर्थ, क्या है इसका धार्मिक महत्व?

Sammed Shikhar Terth: झारखंड के मधुबन में स्थित सम्मेद शिखर जैन धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थानों में से एक है। जैन धर्म में इसे तीर्थों का राजा भी कहा जाता है। झारखंड सरकार द्वारा इसे तीर्थ को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में देश भर के जैन समाज में आक्रोश है। 
 

Manish Meharele | Published : Dec 21, 2022 10:04 AM IST

उज्जैन. पिछले दिनों झारखंड सरकार ने जैन समाज के सबसे बड़े तीर्थ सम्मेद शिखर (Sammed Shikhar Terth) को पर्यटन स्थल घोषित कर दिया। सरकार के फैसले के विरोध में जैन समाज के लोग सड़क पर उतर आए हैं। पूरे देश में जैन समाज के लोगों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। झारखंड सरकार के इस फैसले के खिलाफ जगह-जगह रैलियां निकाली जा रही हैं, वहीं शहर बंद का आवाहन भी किया जा रहा है। आगे जानिए क्या है ये पूरा मामला और क्यों खास है ये तीर्थ स्थान…

ये है सम्मेद शिखर तीर्थ का पूरा मामला
पिछले दिनों केंद्र और झारखंड सरकार ने एक नोटिस जारी कर झारखंड के मधुवन में स्थित सम्मेद शिखर तीर्थ को पर्यटन स्थल बनने की बात कही थी। इसके बाद से ही जैन समाज के लोगों ने सरकारों की ओर से जारी नोटिस को अपनी धार्मिक भावनाओं पर आघात बताते हुए इसके विरोध में मोर्चा खोल दिया है। इसके खिलाफ देश में आंदोलन किए जा रहे हैं। जैन समाज के लोगों को कहना है कि सम्मेद शिखर एक तीर्थ स्थान है, न कि पिकनिक स्पॉट। सरकार अगर इसे पर्यटन स्थल बनाएगी तो लोग यहां दर्शन के बजाए मौज-मस्ती करने आएंगे। इससे इस स्थान की पवित्रता भंग होने का खतरा बना रहेगा। 

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जैन समाज के लिए क्यों खास है ये तीर्थ स्थान?
सम्मेद शिखर झारखंड के गिरिडीह जिले में मधुबन क्षेत्र में स्थित है। यह जैन धर्म के दिगंबर मत का प्रमुख तीर्थ है। इसे पारसनाथ पर्वत भी कहा जाता है। जैन धर्म शास्त्रों की मानें तो जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों को यहां मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसलिए यह सिद्धक्षेत्र भी कहते हैं। ये तीर्थ ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व रखता है। ये तीर्थ स्थान
लगभग 9 किलोमीटर की परिधि में फैला है। 

सृष्टि के आरंभ से ही है इस स्थान का महत्व
जैन धर्म की मान्यता के अनुसार, सृष्टि के आरंभ से ही सम्मेद शिखर और अयोध्या, इन दो प्रमुख तीर्थों का अस्तित्व रहा है। इसलिए इन्हें अमर तीर्थ की संज्ञा दी गई है। जैन ग्रंथों के अनुसार, यहां अनेक तीर्थंकरों ने तपस्या कर मोक्ष प्राप्त किया है, इसलिए इस स्थान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जो व्यक्ति जीवन में एक बार सम्मेद शिखर तीर्थ की यात्रा कर लेता है, उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

कैसे पहुंचें?
सम्मेद शिखर के दर्शन के लिए आपको दिल्ली-हावड़ा ग्रैंड कॉर्ड रेल लाइन पर स्थित पारसनाथ रेलवे स्टेशन उतरना पड़ेगा। ये स्टेशन देश के प्रमुख रेल मार्गों से सीधा जुड़ा हुआ है। स्टेशन से सम्मेद शिखर 22 किलोमीटर दूर है। यहां से शिखरजी के लिए हर थोड़ी देर में साधन मिल जाता है।
 

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