हमारे देश में भगवान शिव के अनेक दिव्य और चमत्कारी मंदिर है। सावन मास में इन मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। ऐसा ही एक मंदिर मथुरा में स्थित है, जिसे गोकर्णनाथ मंदिर कहा जाता है। मान्यता है कि गोकर्णेश्वर महादेव का यह मंदिर द्वापर युग का है यानी कई हजार साल पहले।
उज्जैन. इस मंदिर में स्थापित भगवान शिव की प्रतिमा रौद्र रूप में है, इसलिए इन्हें महाकाल स्वरूप माना जाता है। भगवान शिव को मथुरा का क्षेत्रपाल कहा जाता है, क्योंकि मथुरा के चारों कोनों पर भोलेनाथ के चार मंदिर हैं। पूर्व दिशा में पिघलेश्वर, पश्चिम दिशा में भूतेश्वर, दक्षिण दिशा में रंगेश्वर महादेव और उत्तर दिशा में गोकर्णेश्वर महादेव का पुराना मंदिर है। गोकर्णेश्वर मंदिर टीले पर बना हुआ है। इस कारण से टीले को गोकर्णेश्वर व कैलाश कहते हैं।
संतान सुख के लिए करते हैं पूजा
मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जिस महिला को संतान नहीं हो रही तो वो अगर 16 सोमवार तक गोकर्ण महादेव की पूजा और व्रत करें तो उनकी ये इच्छा जरूर पूरी होती है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, जो भी श्रद्धालु गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर में लगातार 40 दिन तक भगवान शिव स्त्रोत का पाठ और गन्ने के रस से अभिषेक करता है तो वह सुखी, निरोगी और समृद्ध रहता है।
ऐसा है मूर्ति का स्वरूप
मंदिर में स्थापित गोकर्ण महादेव जी की मूर्ति का स्वरूप कुछ अलग है। उनका उल्टा हाथ अपने लिंग पर है तो दूसरा हाथ मन के ऊपर रखा हुआ है। ये इस बात का संदेश है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी इन दो ही चीजों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। क्योंकि मनुष्य का काम और मन, यह दोनों ही काफी गतिमान होता है।
कैसे पहुंचे?
- मथुरा रेलवे स्टेशन काफ़ी व्यस्त जंक्शन है और दिल्ली से दक्षिण भारत या मुम्बई जाने वाली सभी ट्रेने मथुरा होकर गुजरती हैं।
- सड़क द्वारा भी मथुरा आसानी से पहुंचा जा सकता है। आगरा से मात्र 55 किलोमीटर तथा खैर से मात्र 50 किलोमीटर है। इसके अलावा ये शहर सभी राष्ट्रीय राजमार्गों से भी जुड़ा है।
- अगर आप हवाई या वायु मार्ग से मथुरा की यात्रा करने का विचार बना रहे हैं तो बता दें कि मथुरा का निकटतम हवाई अड्डा आगरा में है। हालांकि आगरा के लिए देशभर से बहुत ही कम उड़ाने संचालित होती है। आगरा से मथुरा की दूरी करीब 58 किलोमीटर है, जिसमें आपको सड़क मार्ग से लगभग 1-2 घंटे का समय लगेगा।
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