किसने शुरू की शंकराचार्य परंपरा, देश में कहां-कहां हैं 4 मठ? जानें इनसे जुड़ी परंपराएं व खास बातें

Shankaracharya Swaroopanand Saraswati: हिंदुओं के सबसे बड़े धर्म गुरु माने जाने वाले शंकाराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का 11 सितंबर, रविवार को 99 साल की आयु में निधन हो गया। वे काफी समय से बीमार थे, बेंगलुरु में उनका इलाज चल रहा था। 
 

उज्जैन. ज्योतिर्मठ व शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swaroopanand Saraswati) का 99 साल की आयु में 11 सितंबर, रविवार को निधन हो गया। बेंगलुरु में इलाज करवाने के बाद वे हाल ही में आश्रम लौटे थे। उनके निधन पर देश की कई बड़ी हस्तियों ने शोक जताया है। सोमवार की शाम 5 बजे उन्हें परमहंसी गंगा आश्रम में भू समाधि दी जाएगी यानी उन्हें पद्मासन या सिद्धि आसन की मुद्रा में बैठाकर भूमि में दफनाया जाएगा। शैव अखाड़ों की यही परंपरा है।

किसने शुरू की शंकराचार्य परंपरा?
आदि गुरु शंकराचार्य ने जब दशनामी अखाड़ों की स्थापना की तो उनको नियंत्रित करने के लिए पूरी व्यवस्था भी बनाई। उन्होंने देश के चार हिस्सों में चार मठ बनाए। आदि शंकराचार्य ने इन मठों की स्थापना के साथ-साथ उनके मठाधीशों की भी नियुक्ति की, जो बाद में खुद शंकराचार्य कहे जाते हैं। ये शंकराचार्य ही पूरे देश के साधु समाज को नियंत्रित करते हैं। आगे जानिए देश में कहां-कहां स्थित हैं ये चार मठ...

Latest Videos

रामेश्वरम में स्थित है श्रृंगेरी मठ
श्रृंगेरी मठ भारत के दक्षिण में रामेश्वरम् में स्थित है। इस मठ के अन्तर्गत दीक्षा प्राप्त करने वाले संन्यासियों के नाम के बाद सरस्वती, भारती तथा पुरी नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उक्त संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है। इस मठ का महावाक्य 'अहं ब्रह्मास्मि' है तथा मठ के अन्तर्गत 'यजुर्वेद' को रखा गया है। इस मठ के प्रथम मठाधीश आचार्य सुरेश्वरजी थे, जिनका पूर्व में नाम मण्डन मिश्र था। 

उड़ीसा में स्थित है गोवर्धन मठ  
गोवर्धन मठ भारत के पूर्वी भाग में उड़ीसा के पुरी में स्थित है। यहां भगवान जगन्नाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। गोवर्धन मठ के अंतर्गत दीक्षा प्राप्त करने वाले सन्यासियों के नाम के बाद 'आरण्य' नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उक्त संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है। इस मठ का महावाक्य है 'प्रज्ञानं ब्रह्म' तथा इस मठ के अंतर्गत 'ऋग्वेद' को रखा गया है। इस मठ के प्रथम मठाधीश आद्य शंकराचार्य के प्रथम शिष्य पद्मपाद हुए।

द्वारिका में स्थित है शारदा मठ
शारदा मठ गुजरात के द्वारिका में स्थित है। शारदा मठ के अंतर्गत दीक्षा प्राप्त करने वाले सन्यासियों के नाम के बाद 'तीर्थ' और 'आश्रम' नाम विशेषण लगाया जाता है, जिससे उन्हें उक्त संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है। इस मठ का महावाक्य है 'तत्त्वमसि' तथा इसके अंतर्गत 'सामवेद' को रखा गया है। शारदा मठ के प्रथम मठाधीश हस्तामलक (पृथ्वीधर) थे। हस्तामलक शंकराचार्य जी के प्रमुख चार शिष्यों में से एक थे।

बद्रीनाथ में स्थित है ज्योतिर्मठ
उत्तराखंड के बद्रिकाश्रम में स्थित है ज्योतिर्मठ। ज्योतिर्मठ के अंतर्गत दीक्षा प्राप्त करने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'गिरि', 'पर्वत' एवं ‘सागर नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उक्त संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है। इस मठ का महावाक्य 'अयमात्मा ब्रह्म' है। इस मठ के अंतर्गत अथर्ववेद को रखा गया है। ज्योतिर्मठ के प्रथम मठाधीश आचार्य तोटक बनाए गए थे।


ये भी पढ़ें-

अयोध्या राममंदिर का ताला खोलवाया था शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने, राजीव गांधी को दिया था आदेश


स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के वो 6 बयान, जिन्होंने देश की सियासत में मचा दी खलबली, PM तक को नहीं बख्शा
 

Share this article
click me!

Latest Videos

The Order of Mubarak al Kabeer: कुवैत में बजा भारत का डंका, PM मोदी को मिला सबसे बड़ा सम्मान #Shorts
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में तैयार हो रही डोम सिटी की पहली झलक आई सामने #Shorts
20वां अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड, कुवैत में 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित हुए पीएम मोदी
अब एयरपोर्ट पर लें सस्ती चाय और कॉफी का मजा, राघव चड्ढा ने संसद में उठाया था मुद्दा
बांग्लादेश ने भारत पर लगाया सबसे गंभीर आरोप, मोहम्मद यूनुस सरकार ने पार की सभी हदें । Bangladesh