आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा (30 अक्टूबर, शुक्रवार) कहते हैं। यह पूर्णिमा वर्ष में आने वाली सभी पूर्णिमा से श्रेष्ठ मानी गई है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृत रस के समान होती है। ऐसी मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात को ही रासलीला रचाई थी।
उज्जैन. आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा (30 अक्टूबर, शुक्रवार) कहते हैं। यह पूर्णिमा वर्ष में आने वाली सभी पूर्णिमा से श्रेष्ठ मानी गई है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृत रस के समान होती है। एक और बात जो शरद पूर्णिमा को और भी विशेष बनाती है वह है श्रीकृष्ण का वृंदावन की गोपियों के साथ किया गया महारास। ऐसी मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात को ही रासलीला रचाई थी। जानिए क्या है इस रासलीला का रहस्य...
1. रासलीला वास्तव में लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण का दुनिया को दिया गया प्रेम का संदेश है। कुछ लोग रासलीला का अर्थ भोग-विलास समझते हैं जो कि सर्वथा अनुचित है।
2. रासलीला का अर्थ आध्यात्म से जुड़ा है। मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण ने रासलीला की तो जितनी भी गोपियां थीं उन्हें यही लग रहा था कि श्रीकृष्ण उसी के साथ रास रचा रहे हैं।
3. ऐसी अनुभूति होने पर उन सभी को परमानंद की प्राप्ति हुई। जीवन में नृत्य के द्वारा मिलने वाला आध्यात्मिक सुख उस महारास का ही एक रूप है।
4. रासलीला में हर गोपी को कृष्ण के उनके साथ ही नृत्य करने का एहसास ईश्वर के सर्वव्यापक होने का भी प्रमाण है। श्रीकृष्ण ने यही संदेश रासलीला के माध्यम से जगत को दिया।
5. ब्रज में शरद पूर्णिमा के अवसर पर आज भी रासलीला का मंचन कर श्रीकृष्ण की लीलाओं का आनन्द लिया जाता है। इसे रातोत्सव या कौमुदी महोत्सव भी कहते हैं।