Sharadiya Navratri 2022: इन देवी की कृपा से कालिदास बन गए महाकवि, तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है ये मंदिर

Sharadiya Navratri 2022: उज्जैन में कई ऐसे मंदिर हैं जिनकी मान्यताएं और परंपराएं किसी को भी चकित कर सकती है। ऐसा ही एक मंदिर है देवी गढ़कालिका का। देवी गढ़कालिका की कृपा से ही कालिदास को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति हुई थी।
 

Manish Meharele | Published : Oct 3, 2022 6:23 AM IST

उज्जैन. शारदीय नवरात्रि का समापन 4 अक्टूबर, मंगलवार को होने वाला है। अंतिम दिनों में माता मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। वैसे तो देश में माता के अनेक मंदिर हैं, लेकिन उनमें से कुछ बेहद खास है। ऐसा ही एक देवी मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में है। ये है देवी गढ़कालिका का मंदिर (Gadkalika Temple Ujjain)। ये मंदिर तंत्र साधना के स्थान के रूप में भी जाना जाता है। कालिदास भी मां गढ़कालिका के उपासक रहे हैं। वर्तमान में यहां महिला महंत करिश्मा नाथ प्रतिदिन पूजा-पाठ करती हैं। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

शक्तिपीठ के समान है इस मंदिर का महत्व
मंदिर के पुजारी परिवार के सदस्य लक्ष्यजीत तिवारी के अनुसार, उज्जैन में शिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर सती के होंठ गिरे थे, इसलिए इस जगह को भी शक्तिपीठ के समकक्ष ही माना जाता है। गढ़कालिका मंदिर, गढ़ नाम के स्थान पर होने के कारण गढ़ कालिका हो गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर मां के वाहन सिंह की प्रतिमा बनी हुई है। पास में ही एक प्राचीन दीप स्तंभ है जो नवरात्रि के दौरान जलाया प्रज्वलित किया जाता है। कालिका मंदिर का जीर्णोद्धार ईस्वी संवत 606 में सम्राट हर्ष ने करवाया था। 

Latest Videos

महंत करिश्मा नाथ देवी गढ़कालिका का श्रृंगार करते हुए 
 

तंत्र क्रिया का प्रमुख केंद्र
मान्यता है कि ये मंदिर महाभारत कालीन है। यह मंदिर सिद्धपीठ है इसलिए यहां तांत्रिक क्रिया का विशेष महत्व है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान यहां तांत्रिकों का जमावड़ा लगा रहता है। मध्य प्रदेश सहित गुजरात, आसाम, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों के तांत्रिक मंदिर में तंत्र क्रिया करने आते हैं। नवरात्रि के दौरान यहां रोज माता का आकर्षक श्रृंगार किया जाता है। दशहरे पर मंदिर से प्रसाद के रूप नींबू बाटे जाते हैं। मान्यता है कि घर में ये नींबू रखने से सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है और ऊपरी बाधाएं भी दूर रहती हैं।
 

महंत करिश्मा नाथ देवी गढ़कालिका को भोग लगाते हुए

महाकवि कालिदास को दिया विद्या का वरदान

किवदंतियों के अनुसार, महाकवि कालिदास महामूर्ख थे। एक बार कालिदास पेड़ की जिस डाल पर बैठे थे उसी को काट रहे थे। इस घटना पर उनकी पत्नी विद्योत्तमा ने उन्हें फटकार लगाई। बाद में कालिदास ने मां गढ़कालिका की उपासना की और कई महाकाव्यों की रचना की और उन्हें महाकवि का दर्जा मिल गया। महाकवि कालिदास द्वारा रचित मेघदूतम, कुमार संभव व रघुवंशम जैसी अमर रचनाएं आज भी लोकप्रिय है।

कैसे पहुचें?
- भोपाल-अहमदाबाद रेलवे लाइन पर स्थित उज्जैन एक पवित्र धार्मिक नगरी है। ट्रेन के माध्यम से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- उज्जैन का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर में है, जो यहां से 55 किलोमीटर दूर है। इंदौर से उज्जैन जाने के लिए बसें भी आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
- मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से भी सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।


ये भी पढ़ें-

Surya Grahan 2022: दीवाली पूजा से कितनी देर बाद शुरू होगा सूर्य ग्रहण का सूतक? जानें 12 राशियों पर असर


Dussehra 2022: 5 अक्टूबर को दशहरे पर 6 शुभ योगों का दुर्लभ संयोग, 3 ग्रह रहेंगे एक ही राशि में

Dussehra 2022: ब्राह्मण पुत्र होकर भी रावण कैसे बना राक्षसों का राजा, जानें कौन थे रावण के माता-पिता?
 

Share this article
click me!

Latest Videos

सिर्फ 2 किताबें और... 12वीं पास लड़के ने छाप डाले 22000 Cr. । Dinesh Thakkar
ऐसा क्या बोल गए अमित शाह जो भड़क उठा बांग्लादेश, भारत को दे डाली सलाह । Amit Shah । Bangladesh
कहीं आपके घी में तो नहीं है जानवरों की चर्बी, ऐसे करें चेक । Adulteration in Ghee
RSS और BJP की चुप्पी! संजय सिंह ने फिर से दोहराए Arvind Kejriwal के पूछे 5 सवाल
रिटर्न मशीन हैं 7 Stocks..मात्र 1 साल रखें बढ़ेगा पैसा!