1 नहीं 12 प्रकार के होते हैं श्राद्ध, जानिए किस समय और उद्देश्य से कौन-सा श्राद्ध किया जाता है

शास्त्रों में समस्त जनमानस के लिए तीन ऋणों का मुख्यतः उल्लेख किया जाता है। देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण। इनमें से श्राद्ध के द्वारा पितृ ऋण से मुक्ति का निर्देश दिया गया है। इसके लिए भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक का समय निश्चित है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 28, 2021 2:41 PM IST

उज्जैन. श्राद्ध पक्ष में 16 दिनों तक रोज पितृों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और दान आदि किया जाता है। देश, काल, परिस्थिति को ध्यान में रखकर कहीं भी श्राद्ध (Shradh Paksha 2021) हो सकता है। इस बारे में ब्रह्म पुराण के साथ ही महर्षि पराशर कहते हैं कि पितरों के उद्देश्य से जो ब्राह्मणों को दिया जाए वही श्राद्ध है। श्राद्ध को तीन भागों में बांटा गया है, नित्य, नैमित्तिक, काम्य लेकिन भविष्यपुराण में 12 तरह के श्राद्ध (Shradh Paksha 2021) बताए गए हैं। आगे जानिए इन श्राद्धों के बारे में…

नित्य श्राद्ध 
कोई भी व्यक्ति अन्न, जल, दूध, कुशा, पुष्प व फल से प्रतिदिन श्राद्ध करके अपने पितरों को प्रसन्न कर सकता है।

नैमित्तक श्राद्ध
यह श्राद्ध विशेष अवसर पर किया जाता है। जैसे- पिता आदि की मृत्यु तिथि के दिन इसे एकोदिष्ट कहा जाता है। इसमें विश्वदेवा की पूजा नहीं की जाती है, केवल मात्र एक पिण्डदान दिया जाता है।

काम्य श्राद्ध
किसी कामना विशेष के लिए यह श्राद्ध किया जाता है। जैसे- पुत्र की प्राप्ति आदि।

वृद्धि श्राद्ध
यह श्राद्ध सौभाग्य वृद्धि के लिए किया जाता है।

सपिंडन श्राद्ध
मृत व्यक्ति के 12 वें दिन पितरों से मिलने के लिए किया जाता है। इसे स्त्रियां भी कर सकती हैं।

पार्वण श्राद्ध 
पिता, दादा, परदादा, सपत्नीक और दादी, परदादी, व सपत्नीक के निमित्त किया जाता है। इसमें दो विश्वदेवा की पूजा होती है।

गोष्ठी श्राद्ध
यह परिवार के सभी लोगों के एकत्र होने के समय किया जाता है।

कर्मागं श्राद्ध
यह श्राद्ध किसी संस्कार के अवसर पर किया जाता है।

शुद्धयर्थ श्राद्ध
यह श्राद्ध परिवार की शुद्धता के लिए किया जाता है।

तीर्थ श्राद्ध
यह श्राद्ध तीर्थ में जाने पर किया जाता है।

यात्रार्थ श्राद्ध
यह श्राद्ध यात्रा की सफलता के लिए किया जाता है।

पुष्टयर्थ श्राद्ध 
शरीर के स्वास्थ्य व सुख समृद्धि के लिए त्रयोदशी तिथि, मघा नक्षत्र, वर्षा ऋतु व आश्विन मास का कृष्ण पक्ष इस श्राद्ध के लिए उत्तम माना जाता है।

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