मृत्यु के बाद पिंडदान करना क्यों जरूरी है? गरुड़ पुराण में लिखा है ये रहस्य

गरुड़ पुराण (Garuda Purana) हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। आमतौर पर गरुड़ पुराण का पाठ किसी की मृत्यु होने के बाद किया जाता है। इस ग्रंथ में जीवन को बेहतर तरीके से जीने की तमाम नीतियों के बारे में भी बताया गया है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 1, 2021 4:08 PM IST

उज्जैन. गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरुड़ को जीवन-मृत्यु से जुड़े कई रहस्यों के बारे में भी बताया है। भगवान विष्णु ने बताया है कि कैसे मृत्यु निकट होने पर व्यक्ति क्या सोचता है और कैसे उसकी आत्मा यमलोक तक जाती है। आज हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं…

- गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के अनुसार, जिस मनुष्य की मृत्यु होने वाली होती है, वह बोलना चाहता है, लेकिन बोल नहीं पाता। उस समय दो यमदूत आते हैं। उस समय शरीर से अंगूष्ठ मात्र (अंगूठे के बराबर) आत्मा निकलती है, जिसे यमदूत पकड़ लेते हैं।
- यमराज के दूत उस आत्मा को पकड़कर यमलोक ले जाते हैं, जैसे- राजा के सैनिक अपराध करने वाले को पकड़ कर ले जाते हैं। उस जीवात्मा को रास्ते में थकने पर भी यमराज के दूत डराते हैं और उसे नरक में मिलने वाले दुखों के बारे में बार-बार बताते हैं।
- गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के अनुसार, यमलोक 99 हजार योजन दूर है। वहां यमदूत पापी जीव को थोड़ी ही देर में ले जाते हैं। इसके बाद यमदूत उसे सजा देते हैं। इसके बाद वह जीवात्मा यमराज की आज्ञा से यमदूतों के साथ फिर से अपने घर आती है।
- घर आकर वह जीवात्मा अपने शरीर में पुन: प्रवेश करने की इच्छा करती है, लेकिन यमदूत के बंधन से वह मुक्त नहीं हो पाती और भूख-प्यास के कारण रोती है। पुत्र आदि जो पिंड और अंत समय में दान करते हैं, उससे भी उसकी तृप्ति नहीं होती।
- गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के अनुसार, मनुष्य की मृत्यु के बाद 10 दिन तक पिंडदान अवश्य करना चाहिए। पिंडदान से ही आत्मा को चलने की शक्ति प्राप्त होती है। शव को जलाने के बाद मृत देह से अंगूठे के बराबर का शरीर उत्पन्न होता है। वही, यमलोक के मार्ग में शुभ-अशुभ फल को भोगता है।
- यमदूतों द्वारा तेरहवें दिन आत्मा को पकड़ लिया जाता है। इसके बाद वह भूख-प्यास से तड़पती हुई यमलोक तक अकेली ही जाती है। 47 दिन लगातार चलकर आत्मा यमलोक पहुंचती है।

श्राद्ध पक्ष के बारे में ये भी पढ़ें 

आज इंदिरा एकादशी पर लगाएं पौधे, प्रसन्न होंगे पितृ और बनी रहेगा देवताओं का आशीर्वाद

तर्पण करते समय हथेली के इस खास हिस्से से ही क्यों दिया जाता है पितरों को जल? जानिए और भी परंपराएं

6 अक्टूबर को गजछाया योग में करें पितरों का श्राद्ध, 8 साल बाद पितृ पक्ष में बनेगा ये संयोग

भगवान विष्णु का स्वरूप है मेघंकर तीर्थ, यहां तर्पण करने से पितरों को मिलती है मुक्ति

श्राद्ध पक्ष में दान करने से मिलती है पितृ दोष से मुक्ति, ग्रंथों में इन चीजों का दान माना गया है विशेष

इंदिरा एकादशी 2 अक्टूबर को, ये व्रत करने से पितरों को मिलता है मोक्ष, जानिए विधि और शुभ मुहूर्त

Share this article
click me!