सार

आज (2 अक्टूबर, शनिवार) को इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2021) है। अभी पितृ पक्ष (Pitru Paksha) चल रहा है और इस पक्ष की एकादशी का महत्व काफी अधिक है। इस तिथि पर भगवान विष्णु (Vishnu) और पितरों के लिए भी शुभ करने की परंपरा है।

उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जो लोग संन्यासी हो गए थे और उनकी मृत्यु हो गई, अगर उनकी मृत्यु तिथि की जानकारी नहीं है तो उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2021) पर करना चाहिए। एकादशी पर पितरों के लिए काले तिल का दान करें।

एकादशी के स्वामी और पितरों के देवता विश्वदेव
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेव हैं। जो कि पितरों के भी देवता होते हैं। इसलिए एकादशी तिथि पर किया गया श्राद्ध कई गुना पुण्य देने वाला और पितरों को पूरी तरह तृप्त करने वाला होता है। उन्होंने बताया कि उपनिषदों में भी कहा गया है कि भगवान विष्णु की पूजा से पितृ संतुष्ट होते हैं। यही कारण है कि इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2021) पर तुलसी और गंगाजल से किए गए तर्पण से पितृ प्रसन्न होते हैं।

एकादशी पर पौधे लगाने का विधान
इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2021) का व्रत करने से पितरों को तृप्ति मिलती है। इस पर्व पर आंवला, तुलसी, अशोक, चंदन या पीपल का पेड़ लगाने से भगवान विष्णु के साथ ही पितृ भी प्रसन्न होते हैं। इससे कोई पूर्वज जाने-अनजाने में किए गए अपने किसी पाप की वजह से यमराज के पास दंड भोग रहे हों तो उन्हें इससे मुक्ति मिलती है। विष्णुधार्मोत्तर पुराण का भी कहना है कि इस एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति की सात पीढ़ियों के पितृ तृप्त हो जाते हैं।

शनिदेव की भी करें पूजा
इस बार शनिवार को ये एकादशी होने से इस दिन विष्णु जी के साथ ही शनिदेव के लिए भी विशेष पूजा करनी चाहिए। शनिदेव को न्यायाधीश माना गया है। ज्योतिष के अनुसार, यही ग्रह हमें हमारे कर्मों का फल प्रदान करता है। शनिदेव सूर्य पुत्र हैं। शनिवार को शनिदेव के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए और शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। शनिदेव को नीले फूल, काला कपड़ा, काली उड़द और काले तिल चढ़ाना चाहिए। साथ ही मीठी पुरी का भोग भी लगाना चाहिए।

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