Mahabharata: ट्रांसजेंडर, ये शब्द सुनते ही मन में कई तरह के सवाल उठने लगते हैं, जैसे ट्रांसजेंडर स्त्री होते हैं ये पुरुष, या फिर ये किन्नर की तरह होते हैं। ट्रांसजेंडर कोई नई बात नहीं है, हिंदू धर्म ग्रंथों में भी ऐसे कई पात्रों के बारे में जानकारी मिलती है।
उज्जैन. ट्रांसजेंडर (transgender) वो लोग होते हैं जिनका सेक्स (मेल-फिमेल) जन्म के समय अलग हो और बाद में सर्जरी द्वारा वो उसे चेंज करवा लेते हैं, जैसे यदि किसी व्यक्ति का जन्म पुरुष रूप में हुआ हो और बाद में वह सर्जरी द्वारा महिला बन जाए। वर्तमान समय में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। कुछ समय पहले तक ट्रांसजेंडरों को समाज में भेदभाव का सामना करना पड़ता है, लेकिन अब स्थिति बदलती जा रही है। धर्म ग्रंथों (Mahabharata) में भी कई ऐसे ऐसे पात्रों के बारे में बताया गया है, जो ट्रांसजेंडर थे। आज हम आपको महाभारत के एक ऐसे ही कैरेक्टर के बारे में बता रहे हैं…
महाभारत में कौन था ट्रांसजेंडर? (Who was transgender in Mahabharata?)
महाभारत का एक प्रमुख पात्र था शिखंडी (Shikhandi)। ये राजा द्रुपद के पुत्र और द्रौपदी के भाई थे। जानकारी के अभाव में बहुत से लोग ये समझते हैं कि शिखंडी किन्नर था, लेकिन ऐसा नहीं है। शिखंडी का जन्म एक स्त्री के रूप में हुआ था, लेकिन बाद में वह एक पुरुष बन गया। भीष्म पितामह की मृत्यु का मुख्य कारण भी वही था। शिखंडी एक स्त्री से पुरुष कैसे बना, ये कथा बहुत ही रोचक है।
शिवजी के वरदान से हुआ था शिखंडी जन्म
महाभारत के अनुसार, पांचाल देश के राजा द्रुपद की कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति के लिए द्रुपद ने महादेव की घोर तपस्या की और पुत्र होने का वरदान मांगा। महादेव ने प्रसन्न होकर उसे ये वरदान दे दिया और ये भी कहा कि “तुम्हारे यहां एक कन्या का जन्म होगा, जो बाद में पुरुष बन जाएगी।” समय आने पर द्रुपद की पत्नी ने एक कन्या को जन्म दिया। भगवान शिव के वरदान का स्मरण करते हुए द्रुपद ने सभी को यही बताया कि उसके यहां पुत्र ने जन्म लिया है।
जब हुआ शिखंडी का विवाह
स्त्री रूप में ही शिखंडी युवा हो गई। शिवजी को वरदान को ध्यान में रखते हुए राजा द्रुपद ने शिखंडी का विवाह राजा हिरण्यवर्मा की कन्या से करवा दिया। जब हिरण्यवर्मा की पुत्री को पता चला कि मेरा विवाह एक स्त्री से हुआ है, तो उसने यह बात अपने पिता को बता दी। राजा हिरण्यवर्मा राजा द्रुपद के छल से बहुत क्रोधित हो गए और उन्होंने पांचाल देश पर हमला कर दिया।
ऐसे शिखंडी बनी स्त्री से पुरुष
शिखंडी को जब पता चला कि राजा हिरण्यवर्मा ने पांचाल देश पर हमला कर दिया है तो वह घबरा गई और जंगल में भाई गई। यहां शिखंडी को स्थूणाकर्ण नाम का एक यक्ष मिला। उसके पूछने पर शिखंडी ने उसे पूरी बात सच-सच बता दी। शिखंडी की बात सुनकर यक्ष ने उसे अपना पुरुषत्व दे दिया और उसका स्त्रीत्व स्वयं धारण कर लिया और कहा कि “ जब तुम्हारा कार्य सिद्ध हो जाए तो यहां आकर मेरा पुरुषत्व मुझे लौटा देना।” शिखंडी ने हां बोला और अपने नगर लौट आया।
हमेशा के लिए पुरुष कैसे बनी शिखंडी?
शिखंडी जब पुरुष रूप में पांचाल देश आई तो राजा द्रुपद उसे देखकर पहुत प्रसन्न हुए। राजा हिरण्यवर्मा भी अपनी सेना लेकर लौट गए। इस दौरान एक बार यक्षराज कुबेर स्थूणाकर्ण से मिलने आए तो उन्हें पूरी बात पता चली। क्रोधित होकर उन्होंने स्थूणाकर्ण को श्राप दिया कि “अब तुम्हें इसी स्त्री रूप में रहना होगा। शिखंडी की मृत्यु के बाद तुम्हें तुम्हारा पुरुष रूप पुन: प्राप्त हो जाएगा।” इस तरह शिखंडी हमेशा के लिए पुरुष बन गया।
भीष्म ने क्यों नहीं चलाया शिखंडी पर शस्त्र?
महाभारत के अनुसार, शिखंडी का जन्म स्त्री रूप में हुआ था, ये बात भीष्म पितामाह जानते थे। वे ये भी जानते थे कि पिछले जन्म में शिखंडी का नाम अंबा था, जो काशी की राजकुमारी थी और वही उनकी मृत्यु का कारण भी बनेगी। भीष्म ने स्वयं ये राज पांडवों को बताया था। अर्जुन ने शिखंडी को आगे खड़ाकर भीष्म से युद्ध किया, इसलिए भीष्म ने शिखंडी पर शस्त्रों का प्रयोग नहीं किया। जिसके चलते युद्ध पांडवों के पक्ष में आ पाया।
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