Teja Dashami 2022: तेजा दशमी 5 सितंबर को, जानें कौन थे तेजाजी महाराज? जानें उनसे जुड़ी कथा

Teja Dashami 2022: हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को तेजा दशमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 5 सितंबर, सोमवार को है। इस दिन तेजाजी महाराज की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
 

उज्जैन. इस बार 5 सितंबर, सोमवार को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है। इस तिथि पर तेजा दशमी (Teja Dashami 2022) का पर्व मनाया जाता है। ये पर्व मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान व कुछ अन्य प्रदेशों में ही मुख्य रूप से मनाया जाता है। इस दिन तेजा जी महाराज के मंदिरों में मेला लगता है और भक्त तेजा जी को रंग-बिरंगी छतरियां चढ़ाते हैं। मान्यता है कि तेजाजी की पूजा करे से सर्प दंश का भय नहीं रहता है। इसी वजह से ग्रामीण इलाकों में तेजा जी महाराज के भक्तों की संख्या काफी अधिक है। 

कौन थे तेजाजी महाराज? जानें कथा
- तेजाजी महाराज से जुड़ी एक प्रचलित कथा है, जो इस प्रकार है- तेजाजी बचपन से ही वीर थे और वे लोगों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते थे। एक दिन वे अपनी बहन को लेने के लिए उसके ससुराल गए। वहां उन्हें मालूम हुआ कि एक डाकू उनकी बहन की गायें लूटकर ले जा रहे हैं। 
- जैसे ही ये बात तेजाजी को पता चली तो वे जंगल में डाकू को खोजने के लिए निकल पड़े। तभी रास्ते में भाषक नाम का एक सांप उनके सामने आ गया और डंसने का प्रयास करने लगा। तब तेजाजी ने सांप से प्रार्थना की कि “आप इस समय मुझे जाने दो। बहन की गायों को डाकुओं से छुड़ाने के बाद मैं वापस यहां आ जाऊंगा, तब मुझे डंस लेना।” 
- इसके बाद तेजाजी डाकू से बहन की गायों को छुड़वा कर उसके घर पहुंचाने के बाद सांप से पास पहुचें। डाकूओं से लड़ाई के दौरान वे काफी घायल हो चुके थे। उनके शरीर पर चोट के कई निशान थे। तेजाजी की ऐसी हालत देखकर सांप ने कहा “तुम्हारा पूरा शरीर खून से अपवित्र है। मैं डंक कहां मारुं? ”
- तब तेजा जी सांप को अपनी जीभ पर काटने के लिए कहते हैं। तेजाजी की वचनबद्धता देखकर नागदेव उन्हें आशीर्वाद देते हैं कि जो व्यक्ति सर्पदंश से पीड़ित है, अगर वह तुम्हारे नाम का धागा बांधेगा तो उस पर जहर का असर नहीं होगा। उसके बाद नाग तेजा जी की जीभ पर डंक मार देता है।
- तभी से हर साल भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजा जी महाराज के मंदिरों में श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। जिन लोगों ने सर्पदंश से बचने के लिए तेजाजी के नाम का धागा बांधा होता है, वे मंदिर में पहुंचकर धागा खोलते हैं और विशेष पूजा अर्चना करते हैं।


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