पांडव सशरीर स्वर्ग जाना चाहते थे, लेकिन रास्ते में द्रौपदी, अर्जुन, भीम आदि की मृत्यु हो गई, ऐसा क्यों हुआ?

पांडव जब स्वर्ग जाने के लिए निकले तो रास्ते में ही द्रौपदी सहित भीम, अर्जुन, नकुल व सहदेव की मृत्यु हो गई। सिर्फ युधिष्ठिर ही सशरीर स्वर्ग जा पाए। ये बात हम सभी जानते हैं।

उज्जैन. युधिष्ठिर के अलावा अन्य पांडवों व द्रौपदी की मृत्यु क्यों हुई, ये बात बहुत कम लोगों को पता है। आज हम आपको बता रहे हैं युधिष्ठिर कैसे पहुंचे सशरीर स्वर्ग और रास्ते में ही क्यों हो गई द्रौपदी व अन्य पांडवों की मृत्यु?

ऐसे शुरू की पांडवों ने स्वर्ग जाने की यात्रा
भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु के बाद महर्षि वेदव्यास की बात मानकर द्रौपदी सहित पांडवों ने राज-पाठ त्याग कर सशरीर स्वर्ग जाने का निश्चय किया। युधिष्ठिर ने परीक्षित का राज्याभिषेक कर दिया। इसके बाद पांडवों व द्रौपदी ने साधुओं के वस्त्र धारण किए और स्वर्ग जाने के लिए निकल पड़े। पांडवों के साथ-साथ एक कुत्ता भी चलने लगा। पांडवों ने पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करने की इच्छा से उत्तर दिशा की ओर यात्रा की। यात्रा करते-करते पांडव हिमालय तक पहुंच गए। हिमालय लांघ कर पांडव आगे बढ़े तो उन्हें बालू का समुद्र दिखाई पड़ा। इसके बाद उन्होंने सुमेरु पर्वत के दर्शन किए।

 सबसे पहले द्रौपदी का हुआ पतन
पांचों पांडव, द्रौपदी तथा वह कुत्ता जब सुमेरु पर्वत पर चढ़ रहे थे, तभी द्रौपदी लड़खड़ाकर गिर पड़ी। द्रौपदी को गिरा देख भीम ने युधिष्ठिर से कहा कि- द्रौपदी ने कभी कोई पाप नहीं किया। तो फिर क्या कारण है कि वह नीचे गिर पड़ी? युधिष्ठिर ने कहा कि- द्रौपदी हम सभी में अर्जुन को अधिक प्रेम करती थीं। इसलिए उसके साथ ऐसा हुआ है। ऐसा कहकर युधिष्ठिर द्रौपदी को देखे बिना ही आगे बढ़ गए।

फिर गिरे सहदेव
द्रौपदी के गिरने के थोड़ी देर बाद सहदेव भी गिर पड़े। भीम ने सहदेव के गिरने का कारण पूछा तो युधिष्ठिर ने बताया कि सहदेव किसी को अपने जैसा विद्वान नहीं समझता था, इसी दोष के कारण इसे आज गिरना पड़ा है।

ऐसे हुई नकुल की मृत्यु
द्रौपदी व सहदेव के बाद चलते-चलते नकुल भी गिर पड़े। भीम ने जब युधिष्ठिर से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि नकुल को अपने रूप पर बहुत अभिमान था। वह किसी को अपने समान रूपवान नहीं समझता था। इसलिए आज इसकी यह गति हुई है।

ये था अर्जुन के पतन का कारण
युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन व वह कुत्ता जब आगे चल रहे थे, तभी थोड़ी देर बाद अर्जुन भी गिर पड़े। युधिष्ठिर ने भीम को बताया कि अर्जुन को अपने पराक्रम पर बहुत अभिमान था। इसने कहा थी कि मैं एक ही दिन में शत्रुओं का नाश कर दूंगा, लेकिन ऐसा किया नहीं। अपने अभिमान के कारण ही अर्जुन की आज यह हालत हुई है। ऐसा कहकर युधिष्ठिर आगे बढ़ गए।

इसलिए हुआ भीम का पतन
थोड़ी आगे चलने पर भीम भी गिर गए। तब भीम ने युधिष्ठिर को पुकार कर पूछा कि- हे राजन यदि आप जानते हैं तो मेरे पतन का कारण बताईए? तब युधिष्ठिर ने बताया कि तुम खाते बहुत थे और अपने बल का झूठा प्रदर्शन करते थे। इसलिए तुम्हें आज भूमि पर गिरना पड़ा है। यह कहकर युधिष्ठिर आगे चल दिए। केवल वह कुत्ता ही उनके साथ चलता रहा।

सशरीर स्वर्ग गए थे युधिष्ठिर
युधिष्ठिर कुछ ही दूर चले थे कि उन्हें स्वर्ग ले जाने के लिए स्वयं देवराज इंद्र अपना रथ लेकर आ गए। तब युधिष्ठिर ने इंद्र से कहा कि- मेरे भाई और द्रौपदी मार्ग में ही गिर पड़े हैं। वे भी हमारे हमारे साथ चलें, ऐसी व्यवस्था कीजिए। तब इंद्र ने कहा कि वे सभी पहले ही स्वर्ग पहुंच चुके हैं। वे शरीर त्याग कर स्वर्ग पहुंचे हैं और आप सशरीर स्वर्ग में जाएंगे।

यमराज ने लिया था कुत्ते का रूप
इंद्र की बात सुनकर युधिष्ठिर ने कहा कि यह कुत्ता मेरा परम भक्त है। इसलिए इसे भी मेरे साथ स्वर्ग जाने की आज्ञा दीजिए, लेकिन इंद्र ने ऐसा करने से मना कर दिया। काफी देर समझाने पर भी जब युधिष्ठिर बिना कुत्ते के स्वर्ग जाने के लिए नहीं माने तो कुत्ते के रूप में यमराज अपने वास्तविक स्वरूप में आ गए (वह कुत्ता वास्तव में यमराज का ही रूप था)। युधिष्ठिर को अपने धर्म में स्थित देखकर यमराज बहुत प्रसन्न हुए। इसके बाद देवराज इंद्र युधिष्ठिर को अपने रथ में बैठाकर सशरीर स्वर्ग ले गए।

 

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