भगवान शिव के ये अवतार थे महाक्रोधी, इनके कारण ही श्रीराम ने किया था लक्ष्मण का त्याग

धर्म ग्रंथों में भगवान शिव के अनेक अवतार बताए गए हैं, उन्हीं में से एक अवतार हैं महर्षि दुर्वासा का।

Asianet News Hindi | Published : Jul 24, 2020 2:21 AM IST / Updated: Jul 24 2020, 01:57 PM IST

उज्जैन. रामायण व महाभारत में भी महर्षि दुर्वासा से जुड़े प्रसंग मिलते हैं। महर्षि दुर्वासा अपन क्रोध के कारण प्रसिद्ध थे। आज हम आपको भगवान शिव के इसी अवतार के बारे में बता रहे हैं।

इस कारण त्यागे थे लक्ष्मण ने प्राण
- वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब श्रीराम अयोध्या के राजा थे, तब एक दिन काल तपस्वी के रूप में अयोध्या आया। काल ने श्रीराम से अकेले में बात करने की इच्छा प्रकट की और कहा कि- यदि कोई हमें बात करता हुआ देख ले तो वह आपके द्वारा मारा जाए।
- श्रीराम ने काल को ये वचन दे दिया और लक्ष्मण को पहरा देने के लिए दरवाजे पर खड़ा कर दिया ताकि कोई अंदर न आ सके। जब काल और श्रीराम बात कर रहे थे, तभी महर्षि दुर्वासा वहां आ गए। वे श्रीराम से मिलना चाहते थे। लक्ष्मण ने उनसे कहा कि- आपको जो भी कार्य है, मुझसे कहिए, मैं आपकी सेवा करूंगा।
- यह बात सुनकर महर्षि दुर्वासा क्रोधित हो गए और उन्होंने कहा- अगर इसी समय तुमने जाकर श्रीराम को मेरे आने के बारे में नहीं बताया तो तो मैं तुम्हारे पूरे राज्य को श्राप दे दूंगा। लक्ष्मण ने सोचा कि- अकेले मेरी ही मृत्यु हो, यह अच्छा है किंतु प्रजा का नाश नहीं होना चाहिए।
- यह सोचकर लक्ष्मण ने श्रीराम को जाकर दुर्वासा मुनि के आने की सूचना दे दी। महर्षि दुर्वासा की इच्छा पूरी करने के बाद श्रीराम को अपने वचन का ध्यान आया। तब लक्ष्मण ने कहा कि- आप निश्चिंत होकर मेरा वध कर दीजिए, जिससे आपकी प्रतिज्ञा भंग न हो।
- जब श्रीराम ने ये बात महर्षि वशिष्ठ को बताई तो उन्होंने कहा कि- आप लक्ष्मण का त्याग कर दीजिए। साधु पुरुष का त्याग व वध एक ही समान है। श्रीराम ने ऐसा ही किया। श्रीराम द्वारा त्यागे जाने से दुखी होकर लक्ष्मण सीधे सरयू नदी के तट पर पहुंचे और योग क्रिया द्वारा अपना शरीर त्याग दिया।

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