कर्नाटक में कोल्लार जिले के काम्मासांदरा नाम के गांव में भगवान भोलेनाथ का बहुत विशाल शिवलिंग स्थापित है। इस विशाल शिवलिंग वाले मंदिर को पूरी दुनिया में कोटिलिंगेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।
उज्जैन. यहां मंदिर का आकार ही शिवलिंग के रूप में है। शिवलिंग रूप में इस मंदिर की ऊंचाई 108 फीट है। भारत सरकार ने इसे एशिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग घोषित किया है। इस मुख्य शिवलिंग के चारों ओर बहुत सारे शिवलिंग स्थापित हैं। इस मंदिर में भक्त श्रद्धा और अपने सामर्थ्य के अनुसार 1 से लेकर 3 फीट तक के शिवलिंग अपने नाम से यहां स्थापित करवाते हैं।
1994 में यहां स्थापित किया गया 108 फीट का शिवलिंग
इस मंदिर का निर्माण स्वामी सांभ शिव मूर्ति और उनकी पत्नी वी रुक्मिणी ने 1980 में किया था। इसी साल यहां पहला शिवलिंग स्थापित किया गया था। शुरुआती दिनों में पंचलिंग स्थापित किए गए, फिर 101 शिवलिंग और उसके बाद 1001 शिवलिंग स्थापित किए गए। 1994 में रिकॉर्ड 108 फीट का शिवलिंग इस परिसर में स्थापित किया गया। इसके साथ ही एक विशाल और लंबा नंदी भी मंदिर परिसर में स्थापित किया गया है। स्वामीजी का सपना मंदिर में कोटि (करोड़) लिंग स्थापित करना था और वह इस पर काम कर रहे थे। 14 दिसंबर, 2018 को स्वामी जी के निधन के बाद उनकी बेटी और बेटे ने जिम्मेदारी संभाली और अपने पिता के सपने को पूरा करने में लग गए। तब से मंदिर में कई लिंग मौजूद हैं।
देवराज इंद्र ने किया था स्थापित
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं। एक मान्यता यह भी है कि जब भगवान इंद्र को गौतम नाम के एक ऋषि ने श्राप दिया था। तो उन्होंने इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए कोटिलिंगेश्वर मंदिर में शिवलिंग को स्थापित किया। कहा जाता है कि शाप से मुक्ति पाने के लिए देवराज इंद्र ने शिवलिंग का अभिषेक किया था।
अन्य देवी-देवताओं के 11 मंदिर भी मौजूद
इस पूरे मंदिर परिसर में कोटिलिंगेश्वर के मुख्य मंदिर के अलावा 11 मंदिर और भी हैं, जिनमें ब्रह्माजी, विष्णुजी, अन्न्पूर्णेश्वरी देवी, वेंकटरमानी स्वामी, पांडुरंगा स्वामी, पंचमुख गणपति, राम-लक्ष्मण-सीता के मंदिर मुख्य रूप से विराजमान हैं।
नंदी का विशाल रूप
इस विशाल शिवलिंग के सामने नंदी भव्य और विशाल रूप में दर्शन देते हैं। नंदी की यह मूर्ति 35 फीट ऊंची, 60 फीट लंबी, 40 फीट चौड़ी है, जो 4 फीट ऊंचे और 40 फीट चौड़े चबूतरे पर स्थापित है। इस विशाल शिवलिंग के चारों ओर देवी मां, श्री गणेश, श्री कुमारस्वामी और नंदी महाराज की प्रतिमाएं ऐसे स्थापित हैं जैसे वे अपने आराध्य को अपनी पूजा अर्पण कर रहे हों।