1200 साल से भी अधिक पुराना है तमिलनाडु का ये मंदिर, यहां अग्नि स्वरूप में होती है शिवलिंग की पूजा

वैसे तो हमारे देश में शिवजी के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इनमें से कुछ बहुत विशेष हैं। ऐसा ही एक मंदिर तमिलनाडु के तिरुवनमलाई जिले में स्थित है। इसे अरुणाचलेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 9, 2021 3:43 AM IST

उज्जैन. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को अग्नि तत्व का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर का इतिहास 1200 साल से भी ज्यादा पुराना है। यह मंदिर पहाड़ की तराई में है। वास्तव में यहां अन्नामलाई पर्वत ही शिवजी का प्रतीक है। यहां स्थापित लिंगोत्भव नामक मूर्ति में प्रभु शिवजी को अग्नि रूप में, विष्णु जी को उनके चरणों के पास वराह रूप में और ब्रह्माजी को हंस के रूप बताया गया है। 7वीं शताब्दी में स्थापित इस मंदिर का चोल राजाओं ने 9वीं शताब्दी में विस्तार किया था। 10 हेक्टेयर में बने इस मंदिर के शिखर की ऊंचाई 217 फीट है।

यहां स्थापित हैं 8 शिवलिंग

पर्वत तक पहुंचने के रास्ते में इंद्र, अग्निदेव, यम देव, निरूति, वरुण, वायु, कुबेर और ईशान देव द्वारा पूजा करते हुई आठ शिवलिंग स्थापित हैं। लोगों की धारणा है कि इस मंदिर में नंगे पांव जाने से पापों से छुटकारा पाकर मुक्ति मिल सकती है।

यहां मनाया जाता है दीपम उत्सव

कार्तिक पूर्णिमा पर मंदिर में शानदार उत्सव होता है। इसे दीपम उत्सव कहते हैं। इस मौके पर विशाल दीपदान किया जाता है। हर पूर्णिमा को परिक्रमा करने का विधान है, जिसे गिरिवलम कहा जाता है। श्रद्धालु यहां अन्नामलाई पर्वत की 14 किलोमीटर लंबी परिक्रमा कर शिवजी से कल्याण की प्रार्थना करते हैं। इस दौरान मंदिर के आसपास बड़ी मात्रा में दीपक जलाए जाते हैं। एक विशाल दीपक मंदिर की पहाड़ी पर जलाया जाता है जो दो-तीन किमी की दूरी से भी आसानी से देखा जा सकता है।

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