पूजा के लिए तांबे के बर्तनों को क्यो मानते हैं शुभ, चांदी के बर्तनों का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए?

भगवान के पूजन में कई प्रकार के बर्तनों का उपयोग किया जाता है। इसी के साथ ये बर्तन किस धातु के होने चाहिए इस पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है। पूजा में बर्तनों का गहरा संबंध होता है। शास्त्रों के अनुसार हर धातु अलग फल देती है।

उज्जैन. सोना, चांदी, पीतल और तांबे के बर्तनों का उपयोग शुभ माना जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार सोने को सर्वश्रेष्ठ धातु माना जाता है। अन्य धातुओं के संबंध में धर्म ग्रंथों में कई खास बातें बताई गई हैं।आगे जानिए इन धातुओं से जुड़ी खास बातें…

देवताओं को तांबा है अत्यन्त प्रिय

तत्ताम्रभाजने मह्म दीयते यत्सुपुष्कलम्।
अतुला तेन मे प्रीतिर्भूमे जानीहि सुव्रते।।
माँगल्यम् च पवित्रं च ताम्रनतेन् प्रियं मम।
एवं ताम्रं समुतपन्नमिति मे रोचते हि तत्।
दीक्षितैर्वै पद्यार्ध्यादौ च दीयते।

(वराहपुराण 129/41-42, 51/52)

Latest Videos

अर्थात तांबा मंगलस्वरूप ,पवित्र एवं भगवान को बहुत प्रिय है।

1. तांबे के बर्तन में रखकर जो वस्तु भगवान को अर्पण की जाती है, उससे भगवान को बड़ी प्रसन्नता होती है। इस धातु के पात्र से सूर्य को जल अर्पित करने की मान्यता है।
2. कहा जाता है कि इस धातु से हर प्रकार के बैक्टीरिया का अंत हो जाता है। इसी कारण से पूजा के बाद तांबे के पात्र मे रखे जल को घर में छिड़कने के लिए कहा जाता है।
3. तांबा, सोना-चांदी की तुलना में सस्ता होने के साथ ही मंगल की धातु मानी गई। तांबे में रखे जल को पीने से कई तरह के रोग दूर होते हैं और रक्त प्रवाह बढ़ता है।
4. तांबे में जंग नही, काठ लगता है, अर्थात ऊपर की सतह पानी और हवा के साथ रासायनिक क्रिया कर के एक सतह बनाते हैं लेकिन तांबे के अंदर प्रवेश नही होता।
5. शास्त्रों के अनुसार इसलिए पूजा पाठ के बर्तन शुद्ध ही रहते हैं, क्योकि मृतिका से घिसते वक्त ऊपर की रासायनिक परत उतर जाती है और अंदर का शुद्ध ताम्बा सामग्री के संपर्क में आता है।

देवकार्य के लिए शुभ नही है चांदी के बर्तन 
चांदी के पात्रों से ही देवार्चित (अभिषेक पूजन) किया जा सकता हैं लेकिन तांबे के पात्र से दुग्धाभिषेक वर्जित है। कुछ विद्वानों के अनुसार चांदी एक ऐसी वस्तु है जो चंद्र देव का प्रतिनिधित्व करती है। भगवान चंद्र देव शीतलता के कारक माने गए हैं। रात्रि में शीतलता प्रदान करते हैं। चांदी की खरीदारी से समाज के प्रत्येक मनुष्य को भगवान चंद्र देव का आशीर्वाद स्वरूप शीतलता, सुख-शांति प्राप्त होती है। लेकिन फिर भी देवकार्य में इसे अशुभ माना गया है।

शिवनेत्रोद्ववं यस्मात् तस्मात् पितृवल्लभम्।
अमंगलं तद् यत्नेन देवकार्येषु वर्जयेत्।।
(मत्स्यपुराण 17|23)

अर्थ – चांदी पितरों को तो परमप्रिय है, पर देवकार्य में इसे अशुभ माना गया है। इसलिए देवकार्य में चांदी को दूर रखना चाहिए।

शनि पूजा में उपयोग करें लोहे के पात्र 
शनिदेव की पूजा में तांबे के बर्तनों का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि तांबा सूर्य की धातु है और ज्योतिष शास्त्र में शनि-सूर्य एक-दूसरे के शत्रु हैं। शनिदेव की पूजा में हमेशा लोहे के बर्तनों का ही उपयोग करना चाहिए।

इन पात्रों का न करें इस्तेमाल 
पूजा और धार्मिक क्रियाओं में लोहा, स्टील और एल्युमीनियम को अपवित्र धातु माना जाता है। इन धातुओं से मूर्तियां भी नहीं बनाई जाती हैं। लोहे में हवा, पानी के कारण जंग लग जाता है। एल्युमीनियम धातु के कालिख निकलती है। पूजन में कई बार मूर्तियों को हाथों से स्नान करवाया जाता है। इसलिए सावधानी आवश्यक हैं।

हिंदू धर्म ग्रंथों की इन शिक्षाओं के बारे में भी पढ़ें

श्रीरामचरित मानस: इन 4 लोगों का त्याग तुरंत देना चाहिए नहीं तो बाद में पछताना पड़ता है

गरुड़ पुराण: जाने-अनजाने में हमसे हो जाती है ये 3 गलतियां, इनके कारण परिवार में होते हैं विवाद

Garuda Purana: इन 4 कामों से हमेशा बचकर रहना चाहिए, इनके कारण हो सकता है जान का खतरा

पूजा के बाद इस विधि से करनी चाहिए आरती, इससे बढ़ता है सुख और सौभाग्य, इन बातों का भी रखें ध्यान

Garuda Purana: ये 4 कारणों से कोई भी व्यक्ति डिप्रेशन में आ सकता है

Garud Puran से जानिए मरने के बाद आत्मा को कैसे मिलती है सजा, कितने प्रकार के हैं नर्क?

Share this article
click me!

Latest Videos

दिलजीत दोसांझ को भारत घूमकर समझ आई ये बात, PM Modi ने लगाए ठहाके #Shorts
सिर्फ ₹1290 में आसमान से देखिए Mahakumbh 2025 का भव्य नजारा, जानें बुकिंग का पूरा प्रॉसेस
Mahakumbh 2025: नाव से करनी है गंगा-यमुना की सैर तो जान लें किराया, यात्रियों का है फायदा
महाकुंभ 2025 में गोवा जैसा रोमांच, जानें कहां और कैसे मिलेगा इस एडवेंचर का मजा । Mahakumbh 2025
Sambhal CO Anuj Chaudhary : बर्क के घर के सामने हनुमान बने अनुज चौधरी, गदा वाला अवतार हो रहा वायरल