Veer Bal Diwas 2022: क्यों मनाया जाता है ‘वीर बाल दिवस’, क्या हुआ था इस दिन?

Veer Bal Diwas 2022: सिक्खों ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए कई बार बलिदान दिए। सिक्खों के गुरु गोविंद सिंह के बेटों की शहादत आज भी लोगों को भावुक कर देती है। इनकी स्मृति में हर साल 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जाता है।
 

Manish Meharele | Published : Dec 26, 2022 8:16 AM IST

उज्जैन. सिक्खों के अंतिम गुरु गोविंद सिंह ने वीरता पूर्वक अपने धर्म की रक्षा की और बलिदान दिया। उनके 4 पुत्रों की शहादत आज भी लोगों को स्मृति भी बनी हुई है। उनकी याद में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस (Veer Bal Diwas 2022) मनाने की परंपरा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू की। बहुत कम लोग गुरु गोविंद सिंह के बेटों के बलिदान के बारे में जानते हैं। आज हम आपको इसी बलिदान के बारे में बता रहे हैं…  

जब परिवार से बिछड़ गए गुरु गोविंद सिंह
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 1705 में मुगलों ने गुरु गोविंद सिंह को पकड़ने के लिए अभियान तेज कर दिया। उस समय वे अपने परिवार से बिछड़ गए और उनकी पत्नी माता गुजरी अपने बेटों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को साथ लेकर अपने रसोइए गंगू के साथ उनके घर चली गईं। माता गुजरी के पास सोने की मुहरें देखकर गंगू को लालच आ गया और उसने सरहिंद के नवाब वजीर खां के हाथों उन सभी को पकड़वा दिया।

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जुल्म सहकर भी नहीं बदला धर्म   
सरहिंद के नवाब वजीर खां ने माता गुजरी और दोनों छोटे साहिबजादों को पूस की सर्द रात में एक ठंडे कमरे में जिसे बुर्ज कहा जाता है, बंद कर दिया। इसी बुर्ज में माता गुजरी ने 3 दिनों तक दोनों छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह को धर्म की रक्षा के लिए शीश न झुकाने और धर्म न बदलने का पाठ पढ़ाया। उस समय बाबा जोरावर मात्र 7 और बाबा फतेहसिंह 9 साल के थे।

दोनों साहिबजादे अपने धर्म पर अडिग रहे
सरहिंद के नवाब वजीर खां ने बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह को धर्म बदलने के लिए कहा, लेकिन वे नहीं माने। तब वजीर खां ने उन पर कई जुल्म किए, लेकिन दोनों साहिबजादे अपनी बात पर अडिग रहे। गुस्सा होकर वजीर खान ने 26 दिसंबर 1705 को दोनों साहिबजादों को दीवार में जिंदा चुनवा दिया। जब दोनों साहिबजादों की कुर्बानी की सूचना माता गुजरी जी मिली, तो उन्होंने भी ठंडे बुर्ज में अपना शरीर त्याग दिया। जिस स्थान पर दोनों छोटों साहिबजादों को चुनवाया गया, उस जगह आज गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब बना है।

2 और बेटे भी हुए शहीद
श्री गुरु गोबिंद सिंह के 2 बेटे तो दीवार में चुनवा दिए गए, जबकि दो अन्य 6 दिसंबर 1705 को चमकौर की जंग में शहीद हुए थे। गुरु गोविंद सिंह ने दो बेटों बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह को आशीर्वाद देकर जंग में भेजा। चमकौर की जंग में 40 सिखों ने हजारों की मुगल फौज से लड़ते हुए शहादत प्राप्त की थी। गुरु गोविंद सिंह के ये दो बेटे भी उन शहीदों में से थे। 

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