यामी गौतम ने पति संग किए नैना देवी के दर्शन, 51 शक्तिपीठ में से एक है ये मंदिर, यहीं गिरी थी देवी सती की आंखें

सार

हाल ही में बालीवुड एक्ट्रेस यामी गौतम ने अपने इंस्टाग्राम पर कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वो अपने पति आदित्य धर के साथ नजर आ रही हैं। ये फोटो हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर की हैं। सोशल मीडिया पर ये तस्वीरें काफी पसंद की जा रही हैं।
 

उज्जैन. उरी और अ थर्सडे मूवी में अपने अभिनय का लोह मनवा चुकी बालीवुड एक्ट्रेस यामी गौतम (yami gautam) ने कुछ ही महीनों पहले डायरेक्टर आदित्य धर के साथ अपने होम टाउन हिमाचल प्रदेश में शादी की है। हाल ही में यामी ने अपनी कुछ फोटोज इंस्टाग्राम पर शेयर की हैं, जिसमें वो अपने पति आदित्य धर (Aditya Dhar) के साथ हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर (Naina Devi Temple) में नजर आ रही हैं। इसी मौके की कुछ फोटो आदित्य धर ने भी शेयर कर लिखा है “अपनी देव भूमि हिमाचल प्रदेश में नैना देवी मंदिर में मां का आशीर्वाद लिया।” आगे जानिए क्यों खास है मंदिर और इससे जुड़ी मान्यताएं… 

देवी का शक्तिपीठ है ये मंदिर
नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है। यह मंदिर मां शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। इसलिए इस मंदिर को नैना देवी के नाम से जाना जाता है। मंदिर में पीपल का पेड़ भी आकषर्ण का केन्द्र है, कहा जाता है कि ये पेड़ कई शताब्दियों पुराना है। मंदिर के गर्भगृह में मुख्य तीन मूर्तियां हैं। दाईं तरफ मां काली, मध्य में नैना देवी की और बाईं ओर श्रीगणेश की प्रतिमा है। चैत्र और अश्विन मास की नवरात्रि में यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। माता को भोग के रूप में छप्पन प्रकार की वस्तुओं का भोग लगाया जाता है।

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राजा बीरचंद ने कराया था मंदिर का निर्माण
स्थानीय मान्यता के अनुसारस एक गुर्जर लड़का जिसका नाम नैना राम था। एक दिन उसने देखा कि गाय के थनों से अपने आप दूध निकल कर पत्थर पर गिर रहा है और पत्थर द्वारा पिया जा रहा है। यह क्रिया वो अब रोज देखने लगा। एक रात देवी ने सपने में उसे दर्शन दिए और कहा कि वो सामान्य पत्थर नहीं बल्कि देवी मां की पिंडी है। यह बात नैना राम ने उस समय के राजा बीरचंद को बताई और राजा ने मां नैना देवी का मंदिर का निर्माण करवाया।

यहीं हुआ था महिषासुर का वध
इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि इसी स्थान पर देवी दुर्गा ने महिषासुर नाम के दैत्य का वध किया था जो परम शक्तिशाली था। उसे वरदान प्राप्त था कि एक अविवाहित स्त्री के द्वारा ही उसका वध संभव है। तब देवताओं ने अपने शक्तियों के अंश से देवी दुर्गा को प्रकट किया और देवी ने महिषासुर का वध किया। यही कारण है कि ये मंदिर महिशापीठ के नाम से भी प्रसिद्ध है। 

कैसे पहुचें?
इस मंदिर से सबसे नजदीजी हवाई अड्डा चंडीगढ़ है। वहां से बस या कार की सुविधा उपलब्ध है। नैना देवी जाने के लिए पर्यटक चंडीगढ और पालमपुर तक रेल सुविधा ले सकते हैं। इसके पश्चात बस, कार व अन्य वाहनों से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। नैनादेवी सड़क मार्ग पूरे देश से जुड़ा हुआ है। दिल्ली और चंडीगढ़ से भी यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।


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