यमुना छठ 7 अप्रैल को, इस दिन यमराज और सूर्यदेव की पूजा भी होती है, जानिए महत्व व खास बातें

चैत्र नवरात्रि की छठे दिन यमुना छठ (Yamuna Chhath 2022) का पर्व मनाया जाता है और यमुना नदी की पूजा की जाती है। इसे यमुना जयंती (Yamuna Jayanti 2022) भी कहते हैं। इस बार ये तिथि 7 अप्रैल, गुरुवार को है।

Manish Meharele | Published : Apr 6, 2022 4:18 AM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, चैत्र शुक्ल छठ तिथि पर यमुना देवी हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के उत्तरकाशी (Uttarkashi) जिले में नदी के रूप में प्रकट हुई थी, इसलिए इस तिथि पर यमुना जयंती मनाई जाती है। इस तिथि पर यमुनौत्री धाम (Yamunautri Dham) में देवी यमुना की विशेष पूजा की जात है। उल्लेखनीय है कि यमुनौत्री उत्तराखंड के चार धामों में से एक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यमुना देवी शनिदेव और यमराज की बहन हैं। इन्हें भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी भी कहा जाता है।

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देवी यमुना के साथ करें सूर्यदेव और यमराज की भी पूजा
यमुना छठ के दिन यमुना नदी में स्नान करने का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन देवी यमुना के साथ-साथ सूर्यदेव और यमराज की पूजा की परंपरा भी है। चैती छठ पर सूर्योदय से पहले यमुना को प्रणाम कर नदी में स्नान करें, फिर उगते हुए सूरज को अर्घ्य दें। इसके बाद यमराज की पूजा करनी चाहिए। शाम को दक्षिण दिशा में यमराज के लिए आटे का चौमुखा (चार बत्तियों वाला) दीपक लगाएं। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। यदि आप किसी कारण यमुना नदी में स्नान कर पाने में असमर्थ हैं तो किसी भी पवित्र नदी का जल नहाने के पानी में मिलाकर स्नान कर सकते हैं। ऐसा करने से भी नदी में स्नान करने का पुण्य फल मिलता है। साथ ही ये मंत्र भी बोलें-

यमस्वसर्नमस्तेऽसु यमुने लोकपूजिते।
वरदा भव मे नित्यं सूर्यपुत्रि नमोऽस्तु ते॥

 

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अक्षय तृतीया पर खुलते हैं यमुनौत्री मंदिर के कपाट
उत्तराखंड को देवताओं की भूमि कहा जाता है। यहां कई प्राचीन मंदिर है, जिनके प्रति हिंदुओं में गहरी आस्था है। इनमें बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगौत्री भी यमुनौत्री भी है। इन्हें उत्तराखंड के 4 धाम भी कहा जाता है। यमुना नदी के स्रोत यमुनौत्री का हिमालय में एक प्राचीन मंदिर है, जो बंदर पुंछ पर्वत की एक झुंड के ऊपर स्थित है। मान्यताओं के अनुसार, महाराजा प्रतापशाह ने 1919 में देवी यमुना का ये मंदिर बनवाया था। इसके बाद कई बार इसका जीर्णोद्धार किया जा चुका है। हर साल अक्षय तृतीय पर यमुनौत्री धाम के कपाट खुलते हैं और शीत ऋतु आते ही बंद कर दिए जाते हैं।

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