Yogini Ekadashi 2022: 24 जून को है योगिनी एकादशी, शुभ फल पाने के लिए इस दिन क्या करें और करने से बचें?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। एक साल में कुल 24 एकादशी व्रत आते हैं। इन सभी का नाम और महत्व अलग-अलग बताया गया है।

Manish Meharele | Published : Jun 20, 2022 4:28 AM IST / Updated: Jun 24 2022, 09:39 AM IST

उज्जैन. इस बार 24 जून, शुक्रवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2022) कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इस एकादशी का महात्मय बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से सारे पाप धुल जाते हैं और मृत्यु के बाद मनुष्य मोक्ष पाकर स्वर्ग को प्राप्त करता है। इस व्रत से जुड़े कई नियम (Yogini Ekadashi 2022 Rules) भी धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करने पर ही व्रत और पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। आगे जानिए इस व्रत से जुड़े नियमों के बारे में…

झूठ न बोलें और न किसी की जुगली करें
एकादशी तिथि पर भूलकर भी झूठ नहीं बोलना चाहिए और न ही किसी की जुगली करनी चाहिए। ऐसा करना महापाप माना गया है। झूठ बोलने से आपके पुण्य कर्म क्षीण यानी कम होते हैं और जुगली करने से मान-सम्मान में कमी आती है। इसलिए एकादशी पर भूलकर भी ये काम नहीं करने चाहिए, नहीं तो व्रत का पुण्य फल नहीं मिल पाता है।

मांसाहार और शराब का सेवन न करें
एकादशी तिथि पर मांसाहार का सेवन करना बहुत बड़ा पाप माना गया है। हिंदू धर्म में क्षमा न करने योग्य अपराध माना गया है। या तो इस दिन उपवास रखकर फलाहार करना चाहिए या सात्विक भोजन करना चाहिए, जिससे कि मन में किसी तरह का कोई बुरा भाव उत्पन्न न हो। साथ ही इस दिन किसी भी तरह का नशा करने से भी बचना चाहिए। 

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ब्रह्मचर्य का पालन करें
एकादशी के एक दिन पहले यानी दशमी तिथि की रात से ही व्रत के नियमों का पालन करते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस नियम का पालन एकादशी तिथि की रात को भी करना चाहिए। इन दोनों ही रातों को जमीन पर सोना चाहिए यानी पलंग पर न सोते हुए जमीन पर चटाई बिछाकर सोना चाहिए।

मन में बुरे विचार न लाएं
एकादशी का व्रत सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी करना चाहिए। यानी इस दिन मन में किसी के प्रति कोई बुरे विचार नहीं आने चाहिए। यानी न किसी के बारे में बुरे बोलना चाहिए और न ही सोचना चाहिए। ऐसे विचार जो मन को उत्तेजित करें, उनके बारे में सोचने से भी व्रत का पुण्य फल प्राप्त नहीं होता। 

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