Assam Election: असम में बोले योगी- पहले हर महीने बम धमाके होते थे, लेकिन 5 सालों से शांति है
पांच राज्यों के साथ होने जा रहे विधानसभा चुनाव में अब राजनीति अपने चरम पर है। असम विधानसभा के लिए होने जा रहे चुनाव में में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी मंगलवार को प्रचार करने पहुंचे।
Asianet News Hindi | Published : Mar 23, 2021 4:29 AM IST / Updated: Mar 23 2021, 04:49 PM IST
गुवाहाटी, असम. पांच राज्यों तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, केंद्र शासित पुडुचेरी और असम में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर अब राजनीति अपने चरम पर है। इसी सिलसिले में हिंदुत्व का बड़ा ब्रांड बन चुके उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी मंगलवार को असम में चुनावी सभा कर रहे हैं। असम की 126 विधानसभा सीटों के लिए तीन चरणों-27 मार्च, 1 और 6 अप्रैल को चुनाव होगा। मतगणना 2 मई को होगी।
सिलचर में बोले योगी
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पहले हर महीने कई सप्ताह तक असम केंद्र बंद रहता था, बम विस्फोट होते थे, बड़े-बड़े धरने होते थे लेकिन विगत 5 वर्षों के दौरान आपने देखा होगा कि असम में शांति है। असम सद्भावना पूर्ण तरीके से विकास की नई ऊंचाईयों को छू रहा है।
कांग्रेस के शासनकाल में क्या हुआ था? अराजकता, विवाद और हड़ताल। कांग्रेस आज भी वही कर रही है। AIUDF(All India United Democratic Front) और कम्युनिस्टों के साथ उनका गठबंधन यह दर्शाता है कि वे घुसपैठ की सुविधा देकर असम में अराजकता का हिस्सा बनना चाहते हैं।
असम में बीजेपी विकास के पथ पर सबको ले जाना चाहती है और कांग्रेस घुसपैठ कराकर असम को अलगाववाद और अराजकता की ओर धकेलनी की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस के दौरान आए-दिन असम बंद रहता था। रोजाना आंदोलन होते थे। इसमें युवाओं से लेकर सबका समय बर्बाद होता था। लेकिन भाजपा की सरकार ने आकर प्रदेश को आंदोलन से मुक्त कर दिया। योगी ने एआईयूडीएफ और कम्युनिस्टों के गठबंधन पर प्रहार करते हुए कहा कि ये गठबंधन दर्शाता है कि घुसपैठियों को सुविधा देकर ये असम में अराजकता का हिस्सा बनना चाहते हैं।
तुष्टीकरण की नीति ने ही भारत की अपूरणीय क्षति की है। कांग्रेस की विभाजनकारी नीतियों ने ही देश को विभाजन के कगार पर पहुंचाया था। अन्यथा बांग्लादेश और पाकिस्तान भी आज भारत का हिस्सा होते।
कांग्रेस धीरे-धीरे सिमटती जा रही है, समाप्ती के कगार पर जा रही है। इन सबके बावजूद भी कांग्रेस का नेतृत्व सुधरने वाला नहीं है और जब कोई सुधरता नहीं है, उसको सुधारने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिए, उसको छोड़ देना चाहिए।
जैसे ब्रह्मपुत्र नदी असम की पहचान है, वैसे राइनो भी है। लेकिन कांग्रेस के नेता राइनो का शिकार करते थे, उसके सींग की अंतरराष्ट्रीय बाजार में तस्करी करते थे। 5 वर्ष में राइनो का शिकार नहीं हुआ है। अब असम फिर से राइनो को पहचान दिलाने के लिए दुनिया में जाना जा रहा है।