Govatsa Dwadashi 2023: 9 नवंबर को इस विधि से करें गोवत्स द्वादशी व्रत, जानें हर खास बात और शुभ मुहूर्त

Kab hai Govatsa Dwadashi 2023: दीपावली से 3 दिन पहले गोवत्स द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गाय और बछड़ों की पूजा का विधान है। ये पर्व मुख्य रूप से हमारे देश के गांवों में मनाया जाता है। धर्म ग्रथों में इसका विशेष महत्व बताया गया है।

 

Govatsa Dwadashi 2023 Puja Vidhi: धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी का द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गाय तथा बछड़ों की पूजा की जाती है और व्रत भी रखा जाता है। ये महिला प्रधान व्रत है। ये व्रत क्यों किया जाता है, इससे जुड़ी कईं मान्यताएं हैं। इस बार गोवत्स द्वादशी पर कईं शुभ योग बन रहे हैं, जिसके इसका महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए इस बार कब है गोवत्स द्वादशी और इससे जुड़ी खास बातें…

कब है गोवत्स द्वादशी 2023? (Govatsa Dwadashi 2023 Date)
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 09 नवंबर, गुरुवार को सुबह 10:42 से 10 नवंबर, शुक्रवार की दोपहर 12:35 तक रहेगी। चूंकि ये पर्व शाम को मनाया जाता है और ये स्थिति 9 नवंबर को बन रही है, इसलिए ये पर्व इसी दिन मनाया जाएगा।

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गोवत्स द्वादशी 2023 शुभ मुहूर्त (Govatsa Dwadashi 2023 Shubh Muhurat)
9 नवंबर, गुरुवार को मातंग नाम का शुभ योग दिन रहेगा। इसके अलावा शुभकर्तरी और उभयचरी नाम के 2 अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेंगे। गोवत्स द्वादशी पर गाय-बछड़ों की पूजा प्रदोष काल यानी शाम को करने का विधान है। ये शुभ मुहूर्त शाम 05:31 से रात 08:09 तक रहेगा।

इस विधि से करें व्रत (Govatsa Dwadashi Puja Vidhi-Mantra)
- 9 नवंबर, गुरुवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इस दिन गाय और बछड़ों से किसी तरह का कोई काम न लें। इन्हें नहलाकर सजाएं। शाम को शुभ मुहूर्त में दूध देने वाली गाय और उसके बछडे़ को माला पहनाकर पूजा करें।
- सबसे पहले गाय के मस्तक पर तिलक लगाएं। एक बर्तन में पानी, चावल, तिल और फूल मिलाकर नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए गाए के पैरों पर डालें-
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥

- इसके बाद गाय को अपनी इच्छा अनुसार रोटी या अन्य पकवान खिलाते हुए नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलें-
सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता।
सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस॥
तत: सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते।
मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी॥

- इस तरह गोवत्स द्वादशी पर गाय-बछड़े की पूजा करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है। मान्यता है कि गोवत्स द्वादशी का व्रत-पूजा करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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