गजब ! E-Bike, E-Car के बाद अब आ रहा Electric Plane, जानें किस टेक्नोलॉजी पर करेगा काम, कैसे भरेगा उड़ान

नासा की तरफ से इस प्लेन को तैयार किया गया है। इसकी टेस्टिंग पूरी हो गई है। इसके आने से न सिर्फ एविएशन सेक्टर बल्कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी बड़ी क्रांति होगी। इससे पॉल्युशन भी कम होगा और सफर भी सस्ता होगा।

ऑटो डेस्क : ऑटोमोबाइल सेक्टर में अब और बड़ा बदलाव होने जा रहा है। E-Bike, E-Car के बाद अब Electric Plane भी आ रहा है। जल्द ही आपको इससे उड़ान भरने का मौका भी मिलेगा। जी हां, अब जल्द ही इलेक्ट्रिक एयरो प्लेन लॉन्च होने जा रहा है। इसका मतलब हवा में उड़ता ई प्लेन आपको देखने को मिलेगा। इस पर नासा लंबे समय से कमाम कर रहा है। आइए जानते हैं यह ई प्लेन किस टेक्नोलॉजी पर काम करेगा और कैसे उड़ान भरेगा..

Nasa का इलेक्ट्रिक प्लेन

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नासा की तरफ से इलेक्ट्रिक प्लेन डिजाइन किया गया है। इसका नाम X-57 Maxwell है। इस ई-प्लेन की टेस्टिंग हो चुकी है, जिसमें यह पूरी तरह पास भी हो चुका है। कमर्शियली यूज के लिए इस प्लेन की टेस्टिंग चल रही है। इस प्लेन के आने से एयरोप्लेन एविएशन इंडस्ट्री में बड़ी क्रांति आएगी और उड़ान के दौरान खर्चा भी कम लगेगा।

किस टेक्नोलॉजी पर काम करेगा इलेक्ट्रिक प्लेन

नासा ने दिसंबर, 2017 में इस प्लेन के बैटरी सिस्टम के टेस्ट को पास कराया था। इसका जो फाइनल मॉडल तैयार हुआ है, उसमें दो बड़ी इलेक्ट्रिक क्रूज मोटर इस्तेमाल की गई है, जो 60 किलोवॉट की है। 12 हाई लिफ्ट मोटर्स 10.5 किलोवॉट की है। इस बैटरी को इस तरह से डिजाइन किया गया है, जिससे यह एनर्जी कम कंज्यूम करेगा और स्पीड भी अच्छी खासी पा सकेगा।

इलेक्ट्रिक प्लेन किस तरह भरेगा उड़ान

इस प्लेन के विंग पर लगे क्रूज मोटर्स उड़ान भरने के लिए इसे लिफ्ट करते हैं। इसके बाद प्रोपेलर को रोटेट कर रही मोटर्स एक्टिव हो जाती है। जैसे ही प्लेन लिफ्ट होता है, प्रोपेलर्स काफी तेजी से इसे आगे की तरफ धकेलते हैं। इस प्लेन को इस तरह डिजाइन किया गया है, जिससे जीरो कार्बन एमिशन के साथ ही हाई स्पीड क्रूज एफिशिएंसी और साउंड पॉल्यूशन कम हो सके।

टेस्टिंग में पास

नासा की तरफ से जो जानकारी दी गई है, उसके मुताबिक, इस प्लेन ने थर्मल टेस्टिंग पास कर लिया है। क्वींस लैंड में नासा के ग्लेन रिसर्च सेंटर में इसका टेस्ट कराया गया था। 147 फॉरेनहाइट के टेंपरेचर पर क्रूज मोटर्स ने बिल्कुल सही तरह से परफॉर्म किया है। इस टेस्टिंग के लिए आर्टिफिशियल तौर पर एक्सट्री वेदर कंडीशंस को नासा की तरफ से डेवलप किया गया था। प्लेन का टेक ऑफ और लैंडिंग भी काफी आसानी से हुआ है।

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