महिला जिस ड्राइविंग स्कूल में ट्रेनिंग करती थी, वहां के लोग उससे बोल नहीं पाते थे कि उसे ड्राइविंग छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि हर बार टेस्ट में फेल होने के बाद वह दोगुने जज्बे से साथ वापस लौटती थीं। यही जज्बा रहा कि आखिरकार महिला को डीएल मिल गया।
ऑटो डेस्क : हमारे बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि असफलता से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। लगातार डटे रहने से एक दिन सफलता जरूर मिलती है। साउथ कोरिया (South korea) की एक महिला के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। न्यू यॉर्क पोस्ट में छपी एक खबर के अनुसार, 69 साल की सा-सून को ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए एक-दो बार नहीं बल्कि 960 बार ड्राइविंग टेस्ट से गुजरना पड़ा। बार-बार असफल होने के बाद भी वह हार नहीं मानी और आखिरकार आज उसका ड्राइविंग लाइसेंस उसके हाथ में है। डीएल बनवाने के लिए उसे करीब 13,500 डॉलर खर्च भी करने पड़ें।
69 साल की उम्र में मिला DL
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सा-सून ने आज से 13 साल पहले 2010 में ड्राइविंग टेस्ट पास कर लिया था। उस वक्त उनकी उम्र 69 साल थीं। सैंकड़ों प्रयास के बाद उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस मिला था। जब उन्हें डीएल मिला, तब वे काफी फेमस हो गई थीं। लोग उनकी तुलना सेलिब्रिटी से करते थे। वह जिधर से निकलतीं, उनका सम्मान होता और लोग उन्हें काफी आदर देते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका स्ट्रगल उन लोगों को मोटिवेट कर रहा था, जो लाइसेंस पाने की रेस में बार-बार बाहर हो रहे थे।
तब हुंडई ने गिफ्ट कर दी थी कार
सा-सून साउथ सिनचोन गांव में रहती हैं। वह अपने घर में अकेली रहती हैं। जब इतने प्रयास के बाद उन्हें डीएल मिला तो साउथ कोरियन वाहन निर्माता कंपनी हुंडई (Hyundai) ने उन्हें एक नई कार गिफ्ट में दे दी थी। अब आप सोच रहे होंगे कि 13 साल पुराना मामले की आज बात क्यों..ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में यह खबर एक बार फिर वायरल हुई है और अब यह हर किसी के लिए चर्चा का विषय बन गई है।
हर बार फेल होने के बाद और मेहनत करती थीं सा-सून
ड्राइविंग टेस्ट पास करने के लिए सा-सून जोंबुक ड्राइविंग स्कूल से ट्रेनिंग करती थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रेनिंग स्कूल के लोग महिला की हिम्मत देख उससे ड्राइविंग ट्रेनिंग छोड़ने को नहीं बोल पाते थे। हर बार पिछली बार से ज्यादा जज्बा देखने को मिलता था। जब महिला ने टेस्ट पास कर लिया और उसे डीएल मिल गया तो ट्रेनिंग स्कूल वालों ने कहा कि उनके ऊपर से जैसे कोई बोझ उतर गया हो। इसकी खुशी भी ट्रेनिंग स्कूल में मनाई गई थी। महिला को शुभकामनाएं देने उसके घर भी ट्रेनिंग स्कूल के लोग पहुंचे थे।
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