पिछले कुछ साल में इलेक्ट्रिक वेहिकल्स का ट्रेंड पेट्रोल-डीजल के विकल्प के तौर पर बढ़ा है। अब हाइड्रोजन का विकल्प भी आ गया है। सवाल यह है कि अगर ये दोनों गाड़ियां विकल्प बनकर सामने आईं तो इनमें से कौन ज्यादा सस्ता और भरोसेमंद होगा?
ऑटो डेस्क : जिस तरह से इलेक्ट्रिक कारों की डिमांड बढ़ रही है और हाइड्रोजन की कारें भी मार्केट में आने लगी हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि वह दिन दूर नहीं जब पेट्रोल और डीजल वाली गाड़ियां गायब हो जाएंगी। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें और ICE इंजन से निकलने वाले धुएं से पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है और जेब भी ढीली हो रही है। यही कारण है कि इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन वेहिकल्स (EV or hydrogen vehicles) जैसे ईंधन के नए ऑप्शन की तरफ मार्केट का रूझान बढ़ रहा है। इसी महीने हुए Auto Expo 2023 में कई इलेक्ट्रिक वेहिकल्स पेश किए गए। वहीं, MG Motors ने तो हाइड्रोजन कार Euniq 7 भी पेश किया।
EV या हाइड्रोजन में भविष्य
इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन वेहिकल्स को ऑटोमोबाइल सेक्टर का फ्यूचर माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि दोनों ही कारें पेट्रोल-डीजल की छुट्टी कर सकती हैं. अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल जो है, वह यह कि अगर इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन कारें मार्केट में आती हैं तो दोनों में से कौन फायदे का सौदा साबित हो सकती हैं। किसका भविष्य ज्यादा अच्छा होगा। आइए पॉइंट टू पॉइंट समझते हैं..
EV या हाइड्रोजन..रेंज में कौन बेहतर
दोनों कारों के रेंज की बात करें तो इसमें हाइड्रोजन बाजी मारते हुए दिखाई दे रही है। हाइड्रोन कारों की डेंसिटी ज्यादा होती है, जिससे ये कारें ज्यादा दूर तक चल सकती हैं। वर्तमान में जो मॉडल्स पेश किए गए हैं, उनमें टोयोटा मिराई को एक बार चार्ज करने के बाद 600KM तक ले जा सकते हैं। जबकि इलेक्ट्रिक वेहिकल्स में अभी तक सबसे ज्यादा रेंज 250 किमी की ही है।
EV या हाइड्रोजन..कौन ज्यादा बजट फ्रेंडली
अब अगर ये गाड़ियां बजट में नहीं होंगी तो इन्हें खरीदना हर किसी के बस की बात भी नहीं होगी। इस आधार पर अगर बात की जाए तो इलेक्ट्रिक गाड़ियां एक मिडिल क्लास फैमिली अपने बजट में खरीद सकती है। जबकि हाइड्रोजन वाली गाड़ियों में लेटेस्ट तकनीक इस्तेमाल होने से ये काफी महंगी है और हर किसी के लिए इन्हें खरीदना संभव नहीं है। इस वजह से कंपनियों के सामने इन्हें कम कीमत में लाने की भी चुनौती है।
EV या हाइड्रोजन..रिफिलिंग की टाइमिंग
अब अगर पेट्रोल-डीजल की बजाय इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन की गाड़ियां चलने लगे तो इन्हें रिफिल कराने में भी लगने वाले समय को भी देखना जरूरी है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों को फुल चार्ज करने में 4 से 8 घंटे का समय लगता है। जबकि हाइब्रिड कारों में ऐसी कोई झंझट नहीं है। फ्यूल स्टेशन पर एक किलो हाइड्रोजन को रिफिल करने में 5 से 10 मिनट का ही वक्त लगता है। जैसे पेट्रोल-डीजल को भरने में लगता है।
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