दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और टेस्ला व स्पेस एक्स जैसी कंपनियों के संस्थापक एलन मस्क का सपना एक भारतीय ने पूरा किया। अशोक एल्लुस्वामी ने टेस्ला कार के लिए ऑटोपायलट सिस्टम बनाया है।
नई दिल्ली। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और टेस्ला (Tesla) व स्पेस एक्स जैसी कंपनियों के संस्थापक एलन मस्क (Elon Musk) का सपना एक भारतीय ने पूरा किया। मस्क अपनी ड्रीम कार टेस्ला को ऑटोपायलट (बिना ड्राइवर के) देखना चाहते थे। अशोक एल्लुस्वामी ने टेस्ला कार के लिए ऑटोपायलट सिस्टम बनाकर एलन मस्क का सपना साकार किया। वह टेस्ला कार की ऑटोपायलट प्रोजेक्ट टीम के हेड हैं।
चेन्नई के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग करने वाले अशोक एल्लुस्वामी ने कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी से रोबोटिक्स सिस्टम डेवलपमेंट में मास्टर्स डिग्री लिया है। टेस्ला में शामिल होने से पहले वह फॉक्सवैगन इलेक्ट्रॉनिक रिसर्च लैब और WABCO व्हीकल कंट्रोल सिस्टम से जुड़े थे।
एलन मस्क ने टेस्ला कार के ऑटोपायलट प्रोजेक्ट के लिए 2015 में टीम तैयार की थी। उन्होंने इंजीनियर्स की भर्ती के लिए ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि हम हार्डकोर सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की तलाश कर रहे हैं। कार से जुड़े एक्सपीरियंस की जरूरत नहीं है। कृपया कोड सैंपल या अपने काम का लिंक मेल करें। वह खुद ऑटोपायलट प्रोजेक्ट के लिए इंटरव्यू लेंगे और यह टीम सीधे उन्हें रिपोर्ट करेगी। उनकी टीम में सिलेक्ट होने वाले अशोक पहले आदमी बने थे।
कैसे काम करता है ऑटोपायलट?
ऑटोपायलट का मतलब है कि बिना ड्राइवर की मदद के कार का चलना है। यह टेक्नोलॉजी कई अलग-अलग इनपुट के आधार पर काम करती है। मैप के लिए ये डायरेक्ट सैटेलाइट से कनेक्ट होती है। पैसेंजर को कहां जाना है, इसे सिलेक्ट किया जाता है। इसके बाद रूट का सिलेक्शन होता है। जब कार ऑटोपायलट मोड पर चलती है तब सैटेलाइट के साथ उसे कार के चारों तरफ दिए गए कैमरा से भी इनपुट मिलता है। यानी कार के सामने या पीछे, दाएं या बाएं कोई ऑब्जेक्ट तो नहीं है। किसी ऑब्जेक्ट के होने पर कार लेफ्ट-राइट मूव होती है या फिर रुक जाती है। कार में कई सेंसर भी होते हैं, जो कार को रोड-लेन में रखने में मदद करते हैं और सिग्नल को रीड करते हैं।
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