वाहनों में Flex fuel engine लगाना होगा जरुरी, सरकार ने जारी की एडवायजरी, देखें आप पर क्या होगा असर

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार ग्रीन और वैकल्पिक ईंधन (Green and alternative fuels) के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए लगातार काम कर रही है। गडकरी ने यह भी कहा कि कल, मैंने कंपनियों को फ्लेक्स-फ्यूल इंजन का उपयोग करने की सलाह देने के लिए एक फाइल पर हस्ताक्षर किए हैं।

Asianet News Hindi | Published : Dec 23, 2021 3:43 PM IST

ऑटो डेस्क, Issued advisory to install 'flex fuel engine' : देश में प्रदूषण को नियंत्रण करने के साथ ही पेट्रोल पर निर्भरता कम करने के लिए कई सारे उपाय किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार हर हाल में पेट्रोलियम पदार्थों का आयात कम करने की योजना पर काम कर रही है। इस संबंध में एक बड़ा फैसला लिया  गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री (Union Minister of Road Transport and Highways) नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा है कि  सरकार ने वाहन निर्माताओं को वाहनों में ‘फ्लेक्स फ्यूल इंजन’वाले इंजन लगाने के लिए एक एडवायजरी जारी की है।

सरकार ने दिया 6 महीने का समय
एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, नितिन गडकरी ने यह भी कहा कि सरकार ग्रीन और वैकल्पिक ईंधन के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए लगातार काम कर रही है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यह भी कहा कि कल, मैंने फ्लेक्स-फ्यूल इंजन (कार निर्माताओं को फ्लेक्स-फ्यूल इंजन बनाने की सलाह देने के लिए) पर एक फाइल पर हस्ताक्षर किए। हमने कंपनियों 6 महीने का समय दिया है। 

बड़ी कंपनियों ने दिया आश्वासन
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन, सुजुकी और हुंडई मोटर इंडिया (Toyota Motor Corporation, Suzuki and Hyundai Motor India) के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें आश्वत किया है कि वे अपने वाहनों को फ्लेक्स इंजन के साथ पेश करेंगे। गडकरी ने यह भी कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। 

फ्लेक्स इंजन में लगा होता है फ्यूल मिक्स सेंसर
Flex-Fuel Engine एक तरह के फ्यूल मिक्स सेंसर यानी फ्यूल ब्लेंडर सेंसर का उपयोग करता है। यह मिश्रण में फ्यूल की मात्रा के अनुसार खुद को एड्जेस्ट करता रहता है। इंजन स्टार्ट होते ही इसका सेंसर एथेनॉल, मेथनॉल और गैसोलीन का अनुपात, या फ्यूल की अल्कोहल कंसंट्रेशन को नोट करता है। इसके बाद यह इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल मॉड्यूल को मैसेज भेजता है और ये कंट्रोल मॉड्यूल तब अलग-अलग फ्यूल की डिलीवरी को कंट्रोल करता है। 

ईंधन में बढ़ेगा इथेनॉल का उपयोग
फ्लेक्स इंजन वाली गाड़ियां बाय-फ्यूल इंजन वाली गाड़ियों से डिफरेंट होती हैं। bio-fuel engine में अलग-अलग टैंक होते हैं, जबकि फ्लेक्स फ्यूल इंजन में एक ही टैंक में कई तरह के फ्यूल भरा जा सकता है। इस तरह के इंजनों को खास तरह से डिजाइन किया जाता है। गाड़ियों में ये इंजन आ जाने के बाद पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा बढ़ाई जा सकेगी, इथेनॉल  की कीमत 60-62 रुपये प्रति लीटर होती है, इससे फ्यूल भी सस्ता होगा, वहीं देश ईंधन को लेकर आत्मनिर्भर बनेगा। फिलहाल कार मालिकों पर इसका कोई असर नहीं होगा। आदेश जारी होने के बाद इसमें समय सीमा निर्धारित की जा सकती है। इसके पश्चात के वाहनों में ये इंजन अनिवार्य किया जा सकता है।
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