अप्रैल 2023 से लागू होंगे EV के नए नियम, सेफ्टी टेस्ट पास करने पर ही मिलेगी सब्सिडी

अब से इलेक्ट्रिक व्हीकल में लगने वाले बैटरी सेल की टेस्टिंग 6 तरह से की जाएगी। एडवांस कैमिकल सेल के लिए भी ये नई टेस्टिंग जरूरी होगी। ये सभी टेस्ट न करवाने पर किसी भी कंपनी को पीएलआई का लाभ नहीं मिलेगा।

ऑटो न्यूज. Heavy Industries Ministry announces new safety tests for EV's: मार्केट में इन दिनों इलेक्ट्रिक व्हीकल की डिमांड बड़ी तेजी से बढ़ रही है। यह देखते हुए कई बड़ी कंपनियों ने भी अपने इलेक्ट्रोनिक व्हीकल्स मार्केट में लॉन्च कर दिए हैं। पर आए दिन इन इलेक्ट्रोनिक व्हीकल्स में आग लगने की खबरें सामने आती हैं जो इसे यूज करने वाले ग्राहकों और साथ ही इसे खरीदने की इच्छा रखने वाले ग्राहकों के मन में भी डर बैठा देती हैं। लेकिन अब सरकार ने इसको लेकर सख्त रुख अपनाया है और हेवी इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए सेफ्टी टेस्ट की एक लिस्ट भी जारी की है। इस लिस्ट की मानें तो अब किसी भी ईवी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी को केंद्र से सब्सिडी चाहिए तो उन्हें इस सेफ्टी टेस्ट को पास करना होगा। सेफ्टी टेस्ट के ये नियम अप्रैल 2023 से लागू कर दिए जाएंगे। जानिए क्या है इस लिस्ट में...

क्यों होते हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के साथ ये हादसे
लिस्ट के बारे में जानने से पहले जानिए कि इलेक्ट्रोनिक व्हीकल्स में अक्सर इतनी आसानी से आग कैसे लग जाती है। इलेक्ट्रोनिक व्हीकल्स में अक्सर बैटरी पैक और वायरिंग में अचानक आग लग जाती है। चूंकि बॉडी काफी हार्ड नहीं होती ऐसे में लगी हुई आग पर काबू पाना मुश्किल होता है। कई बार इसमें लगी एक चिंगारी तक पूरी गाड़ी को जला कर खाक कर देती है।

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अब ये हैं नए नियम
- ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव स्कीम के अंदर ईवी की सेफ्टी टेस्टिंग करनी होगी।
- व्हीकल में लगने वाले बैटरी सेल की 6 तरह की टेस्टिंग होगी।
- एडवांस कैमिकल सेल के लिए भी ये नई टेस्टिंग जरूरी होगी।
- ये सभी टेस्ट न करवाने पर किसी भी कंपनी को PLI का लाभ नहीं मिलेगा।
- वहीं बैटरी पैक के 5 नए टेस्ट होंगे और बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम के 11 तरह के टेस्ट होंगे। 
- इसके साथ ही कई अन्य तकनीकी टेस्ट भी नए नियमों में शामिल हैं जो ईवी की सुरक्षा को ग्रीन सिग्नल देंगे।

कुछ इस तरह होती है इलेक्ट्रोनिक व्हीकल टेस्टिंग
बैटरी सेल की टेस्टिंग के दौरान एल्टीट्यूड स्टिमुलेशन और टेंपरेचर साइकिलिंग की जाती है। इसमें चैंबर का टेंपरेचर बढ़ाकर ये देखा जाता है कि लिथियम आयन सेल में क्या रिएक्‍शन हो रहा है। एल्टीट्यूड स्टीमुलेशन के दौरान ये टेस्ट किया जाता है कि क्‍या सेल को दबाव या ज्यादा तापमान में रखने में इसमें आग लगती है या नहीं। इतना ही नहीं, बैटरी को ऊंचाई से गिराकर भी देखा जाता है कि इसके इंपेक्ट से इसमें कहीं आग तो नहीं लगती है।

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