बीजेपी प्रत्याशी आलोक रंजन झा की बात करें तो उनके ऊपर एक क्रिमिनल केस हैं। वे पीएचडी तक पढ़ाई किए हैं और उनके पास इस समय 4.15 करोड़ रुपए हैं। वहीं, टिकट न मिलने से नाराज बीजेपी के बागी नेता व पूर्व विधायक किशोर कुमार भी उनके सामने चुनौती के रूप में हैं। दोनों प्रत्याशी अपनी लड़ाई महागठबंधन की प्रत्याशी लवली आनंद से मानते हैं। हालांकि राजनीति के जानकारों का यह भी मानना है कि मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।
पटना (Bihar ) । जेल में बंद बाहुबली आनंद मोहन (Anand Mohan) की पत्नी लवली आनंद (Lovely Anand) अपने पति की तरह जल्दी-जल्दी पार्टियां बदलती रही हैं। वो इस बार आरजेडी के टिकट पर सहरसा विधानसभा सीट (Saharsa Assembly Seat) से चुनाव लड़ ही हैं। जहां 7 नवंबर को वोटिंग है। जानकार बताते हैं सातवीं बार चुनाव मैदान में उतरी लवली आनंद का मुकाबला बीजेपी के बागी नेता व पूर्व विधायक किशोर कुमार (Kishore Kumar) के निर्दलीय चुनाव लड़ने से दिलचस्प हो गया है। बता दें कि बीजेपी (BJP) ने आलोक रंजन झा (Alok Ranjan Jha) को चुनाव मैदान में उतारा है। इससे बीजेपी प्रत्याशी के लिए दोहरी चुनौती हो गई है।
(बीजेपी प्रत्याशी आलोक रंजन झा)
राजनीति के जानकार दे रहे ये तर्क
बीजेपी प्रत्याशी आलोक रंजन झा की बात करें तो उनके ऊपर एक क्रिमिनल केस हैं। वे पीएचडी तक पढ़ाई किए हैं और उनके पास इस समय 4.15 करोड़ रुपए हैं। वहीं, टिकट न मिलने से नाराज बीजेपी के बागी नेता व पूर्व विधायक किशोर कुमार भी उनके सामने चुनौती के रूप में हैं। दोनों प्रत्याशी अपनी लड़ाई महागठबंधन की प्रत्याशी लवली आनंद से मानते हैं। हालांकि राजनीति के जानकारों का यह भी मानना है कि मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।
(निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व विधायक किशोर कुमार)
1 बार मिली है जीत पाई हैं चुनाव
लवली आनंद ग्रेजुएट हैं। उनके ऊपर इस समय दो क्रिमिनल केस हैं, जबकि 1.23 करोड़ रुपए संपत्ति की मालिक हैं। वो अपने पति आनंद मोहन की तरह जल्दी-जल्दी पार्टियां बदलती रही हैं। अब तक 6 बार चुनाव लड़ चुकी हैं। लेकिन, एक ही बार जीत पाई हैं। वो 1994 में उपचुनाव जीतकर सांसद बनी। इसके बाद बिहार पीपुल्स पार्टी ,कांग्रेस, सपा हम (सेक्युलर) और नीतीश कुमार के भी साथ रहकर चुनाव लड़ चुकी हैं। हालांकि इस बार राजद में शामिल हो गई हैं। कांग्रेस का भी उन्हें समर्थन हैं।
यह है लवली आनंद का राजनीतिक सफरनामा
- बिहार पिपुल्स पार्टी से अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की।
- 1994 में वैशाली लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ीं और जीती।
- 1999 में वैशाली से चुनाव लड़ा और हार गई।
- 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं और हार गईं।
- 2010 में कांग्रेस के टिकट पर आलमनगर सीट से चुनाव लड़ीं और हार गईं।
- 2014 में शिवहर से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गईं।
- 2015 में हम (सेक्युलर) पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ीं और हार गईं।
एक नजर इस सीट पर
कुल वोटर-3.54 लाख
महिला वोटर-1.69 लाख
पुरुष वोटर-1.84 लाख
साल- 2015 में 57.7% वोटिंग।