जमानत पर जेल से बाहर आए बाहुबली रीतलाल बने विधायक, हैट्रिक लगा चुकी बीजेपी की आशा देवी को हराया

दानापुर विधानसभा क्षेत्र सीट से लगाकर तीन बार आशा देवी जीत चुकी हैं। इस बार भी वो बीजेपी से चुनावी मैदान में उतरी थी। बताते हैं 1.58 करोड़ रुपए की उनकी संपत्ति है। आशा देवी और रीतलाल की भिड़ंत 2010 में भी हो चुकी है। उस समय रीतलाल ने निर्दलीय ताल ठोकी थी और हार का सामना करना पड़ा था।
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 10, 2020 4:29 PM IST

पटना (Bihar ) । इसी साल अप्रैल में जमानत पर जेल से बाहर आए बाहुबली नेता रीतलाल दानापुर से चुनाव जीत गए हैं। वे आरजेडी के टिकट पर इस बार चुनाव लड़ रहे थे। उन्होंने बीजेपी की आशा देवी को 16,689 वोटों से हराया। बता दें कि यह वही आशा देवी हैं, जिनके पति की हत्या का आरोप रीतलाल पर लगा है। साथ ही उनसे (आशा देवी) से पिछले चुनाव में रीतलाल हार गए थे। वो लगातार तीन बार से इस सीट पर जीत दर्ज कर रही थी।

अप्रैल में ही जेल से जमानत पर आए बाहर
बिहार में रीतलाल का नाम बाहुबलियों में लिया जाता है, जो इसी साल अप्रैल माह ही जमानत पर जेल से बाहर आया है और उसके ऊपर इस समय भी हत्या, हत्या की कोशिश और रंगदारी जैसे 14 केस चल रहे हैं। इतना ही नहीं पांच साल में उसकी संपत्ति 1.24 करोड़ से बढ़कर 12.03 करोड़ हो गई है। मतलब 10.79 लाख रुपए बढ़ गए, जबकि 2010 से जेल में बंद था।

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तीन बार जीत चुकी थीं आशा देवी
दानापुर विधानसभा क्षेत्र सीट से लगाकर तीन बार आशा देवी जीत चुकी हैं। इस बार भी वो बीजेपी से चुनावी मैदान में उतरी थी। बताते हैं 1.58 करोड़ रुपए की उनकी संपत्ति है। आशा देवी और रीतलाल की भिड़ंत 2010 में भी हो चुकी है। उस समय रीतलाल ने निर्दलीय ताल ठोकी थी और हार का सामना करना पड़ा था।

90 के दशक में था रीतलाल का वर्चस्व
रीतलाल पटना के कोठवां गांव के रहने वाले हैं। 90 के दशक में पटना से लेकर दानापुर तक उनका वर्चस्व था। बताते हैं कि रेलवे के दानापुर डिवीजन से निकलने वाले हर टेंडर पर उनका कब्जा रहता था। कहा तो यह भी जाता है कि उनके खिलाफ जाने की कोशिश करने वाला जान की कीमत चुकाता था। रीतलाल पहले अपने गांव के मुखिया हुआ करते थे। बताते हैं कि 30 अप्रैल 2003 को जब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने तेल पिलावल-लाठी घुमावल रैली कर रहे थे, इसी दौरान रीतलाल ने खगौल के जमालुद्दीन चक के पास दिनदहाड़े भाजपा नेता सत्यनारायण सिंह को उनकी ही गाड़ी में गोलियों से भून दिया था, जिनके पत्नी आशा देवी के खिलाफ इस बार चुनाव भी लड़ रहे थे।

पुलिस के हाथ कभी नहीं लगे रीतलाल
बताते हैं भाजपा नेता की हत्या के बाद रीतलाल तब और सुर्खियों में आ गया जब चलती ट्रेन में बख्यिारपुर के पास दो रेलवे ठेकेदारों की हत्या का आरोप लगा। इसके बाद रीतलाल ने अपने विरोधी नेऊरा निवासी चून्नू सिंह की हत्या छठ पर्व के समय घाट पर उस समय कर दी थी जब वो घाट बना रहे थे। चुन्नू को पुलिस का मुखबिर बताया गया था, जिसके बाद पुलिस और एसटीएफ उसके पीछे पड़ गई। लेकिन, रीतलाल तक कभी नहीं पहुंच सकी। हालांकि साल 2010 में खुद आत्म समर्पण कर दिया और निर्दलीय चुनाव लड़ा। वह बीजेपी प्रत्याशी से हार गया। बाद में जेल से ही एमलसी बन गया था। साल 2012 में रीतलाल पर मनी लॉन्ड्र्रिंग का केस भी दर्ज किया गया था।

..जब लालू ने मांगी थी रीतलाल से मद
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र सीट से लड़ रही थीं। बीजेपी ने उनके खिलाफ लालू के ही पुराने साथी राम कृपाल यादव को उतारा था। देश भर में जिन सीटों की चर्चा थी उनमें ये सीट भी थी। रीतलाल भी यहां से लड़ने की तैयारी में थे। ऐसे में मीसा की मुश्किले बढ़ गई थी। कहते हैं कि लालू ने रीतलाल से मदद मांगी थी। उन्हें राजद का महासचिव भी बना दिया गया था। हालांकि, उसके बाद भी मीसा यहां से जीत नहीं सकीं थीं। साल 2016 में रीतलाल विधान परिषद से निर्दलीय पर्चा भर दिया और वो जीत भी गए। उस समय जेल में था और इसी साल अप्रैल में जमानत पर रिहा किया गया है।
 

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