मशकूर अहमद उस्मानी को मिली करारी हार, जिन्ना को लेकर आए थे सुर्खियों में,बीजेपी के जिबेश कुमार जीते

मशकूर अहमद उस्मानी बिहार के दरभंगा के रहने वाले हैं। उस्मानी को संविधान संशोधन अधिनियम 2019 और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ विरोध करने के लिए जाना जाता है। वे 2017 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। उन्होंने अजय सिंह को 6,719 वोटों से हराया था। 2018 में, उन्होंने भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से उनके आवास पर मुलाकात की और उन्हें एएमयू में आमंत्रित किया था। 2019 में उन्होंने सीएए-एनआरसी, भारतीय नागरिकता अधिनियम, 2019 में संशोधन के खिलाफ अभियान शुरू किया था।

 

पटना (Biha) । जाले विधानसभा सीट से कांग्रेस ने मशकूर अहमद उस्मानी को करारी हार मिली है। इस सीट से बीजेपी के जिबेश कुमार चुनाव जीते है। बता दें कि उस्मानी पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के छात्रसंघ अध्यक्ष रहते हुए जिन्ना की तस्वीर को कमरे के अंदर लगाने का आरोप लगा था। उस समय जिन्ना का महिमामंडन करने को लेकर काफी बवाल भी हुआ था।

कौन हैं मशकूर उस्मानी
मशकूर अहमद उस्मानी बिहार के दरभंगा के रहने वाले हैं। उस्मानी को संविधान संशोधन अधिनियम 2019 और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ विरोध करने के लिए जाना जाता है। वे 2017 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। उन्होंने अजय सिंह को 6,719 वोटों से हराया था। 2018 में, उन्होंने भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से उनके आवास पर मुलाकात की और उन्हें एएमयू में आमंत्रित किया था। 2019 में उन्होंने सीएए-एनआरसी, भारतीय नागरिकता अधिनियम, 2019 में संशोधन के खिलाफ अभियान शुरू किया था।

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जिन्ना की तस्वीर हटाने का किया था विरोध
2018 में भाजपा के अलीगढ़ से सांसद सतीश गौतम ने छात्रसंघ के कार्यालय से जिन्ना की तस्वीर हटाने की मांग की थी। उस दौरान मशकूर अहमद उस्मानी एएमयू छात्रसंघ के अध्यक्ष थे। भाजपा ने उनपर जिन्ना की तस्वीर हटाए जाने का विरोध करने का आरोप लगाया था। अपने बचाव में उस्मानी ने एक बयान जारी कर कहा था 'हम फिर से यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि एएमयू के छात्र किसी भी तरह से मोहम्मद अली जिन्ना या उनकी तस्वीर का बचाव नहीं कर रहे हैं।' 2019 में उस्मानी पर राष्ट्रविरोधी नारे लगाने के कारण राजद्रोह के आरोप के तहत मामला दर्ज किया गया था। 2020 में ट्विटर ने सफूरा जरगर और मीरान हैदर की गिरफ्तारी को लेकर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की आलोचना करने की वजह से उनके आधिकारिक अकाउंट को निलंबित कर दिया था।

 

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