​ जेडीयू के साथ चुनाव नहीं लड़ेगी लोजपा-कहा सीएम के तौर पर नीतीश का चेहरा मंजूर नहीं

एनडीए के तहत वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में लोजपा के 42 उम्मीदवार मैदान में थे। इस बार एनडीए का हिस्सा जदयू भी है। जदयू की दावेदारी काफी अधिक है। ऐसे में एनडीए के तहत 2015 के बराबर लोजपा को सीटें मिलनी मुश्किल है। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 4, 2020 11:38 AM IST / Updated: Oct 04 2020, 05:58 PM IST

पटना (Bihar) । बिहार विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी ने आज बड़ा फैसला लिया है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है। इतना ही नहीं यह भी साफ कर दिया कि एलजेपी को नीतीश कुमार का बतौर सीएम चेहरा मंजूर नहीं है। बता दें कि ये फैसला पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में लिया गया है। वहीं, एलजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल खालिक ने कहा है कि पार्टी वैचारिक मतभेदों के कारण जनता दल (यूनाइटेड) के साथ गठबंधन में आगामी बिहार चुनाव नहीं लड़ेगी। लेकिन, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ एक मजबूत गठबंधन साझा किया है।

दो दिन पहले भी की थी नीतीश की शिकायत
बताते चले कि तीन दिन पहले ही चिराग पासवान ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। सूत्रों की मानें तो इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास किया था। वहीं, चिराग ने सीएम नीतीश कुमार की शिकायत भी की थी। बीजेपी नेताओं के साथ हुई इस बैठक में चिराग पासवान ने कहा था कि बात नहीं बनने की हालत में पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से 143 सीटों पर चुनाव लड़ने का दबाव है। लोजपा पहले से कहती आ रही है कि सीट बंटवारे में पार्टी को 42 सीटें मिलनी चाहिए। 

पिछले चुनाव में चिराग के कोटे में आई थी 42 सीट
एनडीए के तहत वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में लोजपा के 42 उम्मीदवार मैदान में थे। इस बार एनडीए का हिस्सा जदयू भी है। जदयू की दावेदारी काफी अधिक है। ऐसे में एनडीए के तहत 2015 के बराबर लोजपा को सीटें मिलनी मुश्किल है। 

इस वजह से भी नहीं मान रहे हैं चिराग
राजनीति के जानकार बताते हैं कि एनडीए के तहत लोजपा लड़ती भी है तो उसे कौन-कौन सी सीटें मिलेंगी, यह तय नहीं है। सीटों पर ही तय होगा कि किसे टिकट मिलेगा और किसे नहीं। वर्ष 2015 में लोजपा को दो सीटों पर विजय मिली थी। 

इस सीट को चाहते हैं सभी दल
पिछले चुनाव में तरारी विधानसभा में लोजपा के उम्मीदवार मात्र 272 वोट से माले से हार गए थे। ऐसे में लोजपा किसी भी कीमत में तरारी सीट छोडने को तैयार नहीं है। वहीं, इस सीट पर भाजपा भी अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है। इन्हीं सब कारणों से लोजपा के टिकट के दावेदार खासे परेशान हैं। 

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