'PM मोदी के नाम और महागठबंधन का डर दिखाकर जीतना चाहते हैं नीतीश कुमार', चिराग ने फिर साधा निशाना

एलजेपी चीफ चिराग पासवान ने एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी का नाम लेकर सीधे नीतीश कुमार पर हमला किया है। चिराग ने आरोप लगाए कि जेडीयू चीफ और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन का डर दिखाकर चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं।

पटना। विधानसभा चुनाव में एलजेपी और जेडीयू के बीच जुबानी जंग रुकने का नाम नहीं ले रही। एलजेपी चीफ चिराग पासवान ने एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी का नाम लेकर सीधे नीतीश कुमार पर हमला किया है। चिराग ने आरोप लगाए कि जेडीयू चीफ और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन का डर दिखाकर चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं। एलजेपी चीफ ने आज एक ट्वीट में कहा- "आदरणीय नीतीश कुमार जी आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नाम पर और महागठबंधन का डर दिखा कर चुनाव जीतना चाहतें हैं।" 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल पर सवाल उठाते हुए यह भी कहा- "खुद 5 साल क्या किया है यह राज किसी को नहीं पता। जेडीयू के नेता आते है सिर्फ केंद्र सरकार की योजना गिनवा कर चले जाते हैं। जेडीयू ने प्रदेश को बर्बाद किया है।" राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही जेडीयू और एलजेपी के बीच जंग जारी है। जेडीयू ने चिराग पासवान पर आरोप लगाए हैं कि उनका महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव के साथ आंतरिक गठबंधन है। जेडीयू ने कहा था कि जब तक चिराग बिहार एनडीए का हिस्सा थे तब वो नीतीश के कामों की सार्वजनिक तारीफ करते थे, लेकिन अब नीतीश के वही काम बुरे नजर आने आले गईं। 

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लगाए जा रहे एक-दूसरे के खिलाफ आरोप 
जेडीयू ने एलजेपी संस्थापक रामविलास पासवान की मौत को लेकर भी सवाल उठाए हैं। बताते चलें कि चुनाव की घोषणा के बाद एलजेपी ने खुद को बिहार एनडीए से बाहर कर लिया था। एनडीए में जेडीयू, बीजेपी के अलावा हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी शामिल हैं। एलजेपी अकेले चुनाव लड़ रही है। पार्टी ने जेडीयू कोटे की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। बीजेपी के खिलाफ भी कुछ सीटों पर प्रत्याशी दिए गए हैं पर एलजेपी ने इसे दोस्ताना लड़ाई बताया है। एलजेपी ने दावा किया है कि चुनाव बाद वो बीजेपी संग राज्य में सरकार बनाएगी। हालांकि बीजेपी नेताओं ने चिराग को वोटकटवा तक करार दे दिया है। 

एनडीए से क्यों अलग हो गए चिराग 
कहा गया कि चिराग पासवान बिहार एनडीए में अपनी भूमिका बढ़वाना चाहते थे। उन्होंने इस बार 43 से ज्यादा सीटों की मांग की थी। इसे लेकर जेडीयू और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व तक बात हुई लेकिन सहमति नहीं बन पाई। नीतीश ने अपने कोटे से जीतनराम मांझी की हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा को एनडीए मे शामिल करा लिया। मांझी के आगमन के बाद नीतीश के कामकाज पर सवाल उठाते हुए चिराग बिहार एनडीए से अलग हो गए। हालांकि एक इंटरव्यू में चिराग ने दावा किया था कि बिहार एनडीए से अलग होने के पीछे सीटों का विवाद नहीं था। बल्कि वो बिहार फ़र्स्ट और बिहारी फ़र्स्ट विजन को एनडीए में लागू कराना चाहते थे। इसपर सहमति नहीं बन पाने की वजह से उन्होंने अकेले चुनाव में उतरने का फैसला लिया। 

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