BJP-JDU के बड़े नेताओं ने मिलकर बनाया NDA में सीटों की शेयरिंग का फॉर्मूला, चिराग राजी हों या फिर...

एनडीए में बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) के बड़े नेताओं ने मिलकर सीटों की शेयरिंग का एक फॉर्मूला तैयार किया है। इसके मुताबिक एलजेपी को 25 सीटें देना तय किया गया है। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 24, 2020 2:54 PM IST

पटना। महागठबंधन की तरह एनडीए (NDA) में भी सीटों का बटवारा फाइनल नहीं हो पा रहा है। एलजेपी चीफ चिराग पासवान (LJP Chief Chirag Paswan) नाराज हैं और लगातार हमलावर हैं। इस बीच एनडीए में बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) के बड़े नेताओं ने मिलकर सीटों की शेयरिंग का एक फॉर्मूला तैयार किया है। इसके मुताबिक एलजेपी को 25 सीटें देना तय किया गया है। इसके साथ ही विधानपरिषद की भी दो सीटें दी जाएंगी। 

सीटों के बंटवारे को लेकर बीजेपी और जेडीयू नहीं चाहतीं कि तनाव की बातें लंबी खींचे और बाहर जाएं। चर्चाओं की मानें तो फॉर्मूले के साथ चिराग को स्पष्ट जवाब दे दिया है। उन्हें कोई फैसला लेने के लिए समयसीमा भी दे दी गई है। सीटों के लिए चिराग लगातार दबाव बना रहे हैं। वो इस बार 42 सीटें मांग रहे हैं। हालांकि जेडीयू और बीजेपी इतनी सीटें देने को तैयार नहीं है। दबाव बनाने के लिए एलजेपी चीफ नीतीश पर हमला भी कर रहे हैं। इस बीच एलजेपी नेता सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh) भी एक फॉर्मूला लेकर आए थे। इसके तहत उन्होंने एनडीए में 34 सीटों पर दावा किया था। लेकिन एलजेपी के इस फॉर्मूले को बीजेपी-जेडीयू ने खारिज कर दिया था। 

कुशवाहा आए तो कितनी सीट 
एनडीए में बीजेपी-जेडीयू के अलावा जीतनराम मांझी (Jeetanram Manjhi) की हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा (HAM) भी शामिल है। राज्य में विधानसभा की 243 सीटें हैं। आरएलएसपी (RLSP) चीफ उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) के भी एनडीए में आने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि अगर कुशवाहा एनडीए में आते हैं तो उन्हें एनडीए में 5 सीटें मिल सकती हैं। जबकि मांझी को तीन सीटें देने का विचार किया जा रहा है। ये सीटें दोनों नेताओं के पसंद की होंगी। 

बीजेपी-जेडीयू को कितनी सीट 
इस फॉर्मूले को देखें तो 210 सीटें बीजेपी और जेडीयू के पास रहेंगी। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि 210 में किसे कितनी सीटें मिलेंगी। वैसे जेडीयू ने पहले ही बीजेपी नेताओं के उस वादे को दोहराया है जिसमें इस बार सबसे ज्यादा सीटें जेडीयू को देने की बातें हुई थीं। अब ये देखने वाली बात होगी कि नए फॉर्मूले पर चिराग पासवान राजी होते हैं या कोई दूसरा रास्ता पकड़ते हैं। 

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