बिहार में सीधे लालू के वोटबैंक पर PM मोदी की नजर, महागठबंधन को 1 ही दिन में मिली ये 2 बड़ी चुनौतियां

महागठबंधन के यादव, मल्लाह और दूसरे अति पिछड़ा मतों पर मोदी और एनडीए की नजर है। एक तरफ नीतीश महागठबंधन का आधार खिसकाने के लिए घोषणाएं कर रहे थे, अब मोदी भी उसी आधार को दरकाने के लिए सामने आ गए हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 10, 2020 10:43 AM IST / Updated: Sep 10 2020, 04:50 PM IST

पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार को 20,050 करोड़ रुपये की मत्स्य सम्पदा योजना की सौगात देकर चुनाव का अभियान शुरू कर दिया है। मोदी ने वीडियो कॉफ्रेंसिग के जरिए खेती किसानी और पशुपालन समेत कई और परियोजनाओं का आज शुभारंभ किया। 'ई-गोपाला ऐप' भी लॉन्च किया और कई चीजों को एक साथ साध लिया। महागठबंधन के यादव, मल्लाह और दूसरे अति पिछड़ा मतों पर मोदी और एनडीए की नजर है। एक तरफ नीतीश महागठबंधन का आधार खिसकाने के लिए घोषणाएं कर रहे थे, अब मोदी भी उसी आधार को दरकाने के लिए सामने आ गए हैं। 

बताने की जरूरत नहीं कि बिहार में यादव और अन्य छिटपुट वोटबैंक पर पिछले कई चुनाव से लालू यादव का कब्जा बना हुआ है। महागठबंधन के लिए आज का दिन हर लिहाज से पिछड़ने वाला साबित हुआ। एनडीए के आक्रामक रूख के साथ ही पार्टी का अंदरूनी मसला भी उसके हक में नजर नहीं आ रहा है। रामा सिंह की आरजेडी में एंट्री से नाराज वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा तेजस्वी के विधानसभा चुनाव के लिए ठीक नहीं बताया जा रहा है। आज महागठबंधन को मिली ये दूसरी बड़ी चुनौती है। 

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आरजेडी की स्ट्रेटजी को धक्का लगा 
तेजस्वी यादव वैशाली में राघोपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। ये लालू परिवार की परंपरागत रूप से सुरक्षित और सबसे मजबूत सीट मानी जाती है। रघुवंश प्रसाद सिंह वैशाली से सांसद बनते रहे हैं। हालांकि वो पिछला चुनाव हार गए थे। रामा सिंह ने भी एलजेपी के टिकट पर यहां से एक बार सांसद बनने में कामयाबी पाई थी। दोनों नेताओं की अदावत वैशाली के राजनीतिक वर्चस्व को लेकर ही है। इस सीट पर यादव और ठाकुर मतों को निर्णायक माना जाता रहा है। जेल की सजा काट रहे लालू यादव बिहार चुनाव से बाहर हैं। विपक्ष चुनाव में लालू के दोनों बेटों को घेरने की कोशिश में है।

तेजप्रताप की सीट बदली जा रही है जबकि राघोपुर में तेजस्वी की जीत सुनिश्चित करने के लिए रामा सिंह को पार्टी में लाया जा रहा है। रघुवंश ऐसा नहीं चाहते थे। बाद में अपने ऊपर तेजप्रताप के बयान से भी वो काफी असहज हो गए थे।  

रघुवंश के जाने के बाद बढ़ी तेजस्वी की मुश्किलें 
चर्चा है कि लालू संग पिछले 32 साल तक साए की तरह साथ रहे रघुवंश जेडीयू में शामिल हो जाएंगे। वो इलाज के लिए पिछले काफी दिनों से दिल्ली में ही हैं। नीतीश के इशारे पर जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं ने बीमारी के बहाने उनसे संपर्क बनाए रखा। जेडीयू नेताओं की ओर से तेजप्रताप के बयान की भी आलोचना की गई थी। राजनीतिक जानकारों की नजर में रघुवंश का जेडीयू में जाना पहले से ही परेशान आरजेडी और तेजस्वी के लिए किसी भी सूरत में फायदेमंद नहीं है। 

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