
पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Polls 2020) का ऐलान हो चुका है मगर अभी तक महागठबंधन (Mahagathbandhan) पूरी तरह से बन नहीं पाया है। सीटों पर समझौते में देरी की वजह से महागठबंधन में शामिल हर पार्टी अपने प्लान B पर काम करने लगी है। इसके तहत महागठबंधन के सहयोगी दल तीन तरह की चुनावी योजनाओं में आगे बढ़ रहे हैं।
या तो अलग होकर दूसरे गठबंधन में जा रहे हैं जैसे जीतनराम मांझी (Jeetanram Manjhi) ने किया। उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की तरह छोटे दलों के साथ अपना मोर्चा बना रहे हैं। या सीपीआई एमएल (CPI ML) की तरह अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में अकेले मैदान में उतर रहे हैं। समझौता न हो पाने की स्थिति में आरजेडी (RJD) और कांग्रेस (Congress) नेताओं ने भी अकेले ही सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं। चुनाव से पहले ये सारी स्थिति महागठबंधन के लिए शुभ संकेत नहीं है। इस बीच बिहार कांग्रेस के रवैये पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) काफी नाराज बताए जा रहे हैं।
क्यों नाराज हैं तेजस्वी यादव
कहा जा रहा है आरजेडी नेता अब सीटों के बंटवारे को लेकर बिहार कांग्रेस से कोई बात नहीं करना चाहते। बल्कि इस मसले पर वो सीधे कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से बात करेंगे। तेजस्वी, बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल (Shakti Singh Gohil) के रवैये पर नाराज हैं। हालांकि एक दो दिन में सीटों के समझौते पर राय बन जाने की भी उम्मीद जताई जा रही है। शक्ति सिंह ने तेजस्वी के अनुभव पर सवाल उठाते हुए सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का बयान दिया था। इस बीच खबर यह भी है कि आरजेडी, महागठबंधन से अलग हो चुकी सीपीआई एमएल को अभी भी मनाने की कोशिश में लगा हुआ है।
कांग्रेस और आरजेडी का झगड़ा क्या है?
कांग्रेस और आरजेडी के बीच का झगड़ा सीटों को लेकर। आरजेडी अकेले 150 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। उम्मीदवारों के 150 अधिकार पत्रों पर पार्टी चीफ लालू यादव (Lalu Yadav) ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। कांग्रेस भी 80 सीटों पर लड़ना चाहती है। लोकसभा चुनाव में हुए समझौते का हवाला देते हुए आरजेडी अपनी बात पर अड़ी है। आरजेडी, कांग्रेस को 58 से 65 सीटें देने को तैयार है मगर इसके साथ एक शर्त भी रख दी है। शर्त यह है कि कांग्रेस को मुख्यमंत्री चेहरा के रूप में तेजस्वी के नेतृत्व को स्वीकार करना होगा। अगर आरजेडी 150 सीटों पर लड़ती है तो महागठबंधन के दूसरे सहयोगी दलों की मौजूदगी में अकेले कांग्रेस को 80 सीट नहीं दे सकती। देखना है कि महागठबंधन में विवाद का अंत कब तक होता है।
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