बताते चले कि बिहार विधानसभा के 243 सीटों पर तीन चरण में चुनाव हो रहा है। पहले फेज का चुनाव 28 अक्टूबर को हो चुका है। दूसरे चरण के लिए मतदान 3 नवंबर को, जबकि अंतिम चरण के लिए वोटिंग 7 नवंबर को होनी है। इसके अलावा मतगणना 10 नवंबर को होगी।
पटना (Bihar)। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) के दूसरे चरण का मतदान आज हो रहा है। 17 जिलों की 94 सीटों पर हो रहे इस चुनाव में तीन ऐसी भी सीटे हैं, जिसपर पूरे देश की नजर है। जी हां ये तीन सीटे हाई-प्रोफाइल है, क्योंकि इनमें दो पर सीएम फेस तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav), पुष्पम प्रिया चौधरी (Pushpam Priya Chaudhary), एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा (Actor Shatrughan Sinha) के एक्टर बेटे लव सिन्हा (Actor Love Sinha) और लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) का भी नाम शामिल है। जिन्हें अपनी ही सीट पर कड़ी टक्कर मिल रही है। ऐसे में मुकाबला दिलचस्प हो गया है। आइये जानते हैं इन तीनों सीटों के बारे में।
सीट नंबर-01
बीजेपी प्रत्याशी से मिल रही तेजस्वी को कड़ी टक्कर
महागठबंधन से सीएम फेस तेजस्वी यादव इस बार भी राघोपुर सीट (Raghopur Seat) से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट को को लालू परिवार के लिए मजबूत गढ़ माना जाता है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav), राबड़ी देवी (Rabri Devi) दो-दो बार और अब उनके बेटे तेजस्वी यादव यहां से एक बार विधायक बन चुके हैं। वे दूसरी बार यहां से मैदान में हैं। उनका मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी सतीश कुमार (Satish Kumar) से हैं। वैसे यहां 15 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं। लेकिन, सतीश कुमार साल 2010 के चुनाव में जदयू प्रत्याशी के रूप में राबड़ी देवी को हरा कर विधायक बने थे। अगले चुनाव में टिकट नहीं मिली तो वे भाजपा में शामिल हो गए। लेकिन, तेजस्वी यादव के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, बता दें कि इस सीट से कभी बीजेपी नहीं जीती है, जिसके पास कमल खिलाने का अच्छा मौका है। वजह जेडीयू भी उसके साथ है,जो पिछले चुनाव में तेजस्वी यादव के साथ थी।
गैर यादव वोटर्स की भूमिका निर्णायक
यादव बहुल इस विधानसभा क्षेत्र में गैर यादव वोटरों की भूमिका निर्णायक होती है। माना जाता है कि उनका झुकाव जिधर होता है, जीत उसी की होती है। इस बार जहां तेजस्वी की हार तय करने के लिए जेडीयू ने पूर्व विधायक और इस इलाके के दिग्गज भोला राय को पार्टी में शामिल कराया। वहीं, तेजस्वी ने यहां विजेता तय करने वाले राजपूत वोटरों को प्रभावित करने के लिए पूर्व सांसद रामा सिंह की पत्नी को बगल की महनार सीट से उम्मीदवार बनाया है। उनका आंकलन है कि वे कुछ तो राजपूत वोट उनको दिलवाएंगे।
सीट नंबर-02
हसनपुर में दिलचस्प हो गया मुकाबला
बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव इस बार हसनपुर (Hasanpur) सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। जहां उनका मुकाबला जेडीयू के विधायक राजकुमार राय (JDU MLA Rajkumar Rai) से हैं, जो पिछले 10 साल का इस सीट से विधायक हैं। इससे मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। बता दें कि इस सीट पर तीन नवंबर को मतदान होगा।
तेज प्रताप के सामने ये है चुनौती
साल 2014 में राजनीति में आए और 2015 में महुआ से विधायक बने तेज प्रताप के सामने भी चुनौती है। इस बार वह अपने पिता लालू प्रसाद यादव की गैर मौजूदगी में जहां चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं अपनी जीती हुई सीट महुआ को छोड़कर हसनपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, साल 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के राज कुमार राय ने आरजेडी के प्रत्याशी सुनील कुमार पुष्पम को तीन हजार से अधिक वोटों से चुनाव में हराया था। इसके बाद साल 2015 के विधानसभा चुनाव में राजकुमार राय ने ही बीएलएसपी के उम्मीदवार को करीब 30 हजार वोटों से शिकस्त दी थी। देखा जाए तो उनके जीत का आंकड़ा करीब 10 गुना बढ़ा, जिससे उनका हौसला बुलंद हैं। हालांकि पिछले चुनाव में आरजेडी का भी समर्थन उनके साथ था, जबकि इस बार तेज प्रताप यादव ही आरजेडी से उनके सामने चुनाव लड़ रहे हैं।
राजकुमार के सामने ये दो बड़ी चुनौती
जेडीयू प्रत्याशी राजकुमार राय की चुनावी जीत की राह में सिर्फ एक ही रोड़ा नहीं है, बल्कि तेज प्रताप यादव के साथ-साथ लोजपा प्रत्याशी का मैदान में होना भी चुनौती है। वजह लोजपा प्रमुख चिराग पासवान अपनी चुनावी सभाओं में लगातार जेडीयू के खिलाफ वोट देने की अपील करते आ रहे हैं। लोजपा ने यह ऐलान भी कर रखा है कि जहां-जहां जेडीयू के प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, वहां पर चिराग पासवान की पार्टी के उम्मीदवार पूरे दम-खम के साथ चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में उनके लिए जीत इतनी आसान नहीं है।
सीट नंबर-03
बांकीपुर में त्रिकोणीय मुकाबला
बांकीपुर (Bankipur) इस बार हाई प्रोफाइल सीट हो गई है। यहां का मुकाबला काफी दिलचस्प होता नजर आ रहा है। जी हां शत्रुघ्न सिन्हा के एक्टर बेटे लव सिन्हा कांग्रेस (Congress), प्लुरल्स पार्टी की सीएम फेस पुष्पम प्रिया चौधरी और बीजेपी (BJP) से विधायक नितिन नवीन (Nitin Naveen) चुनाव मैदान में हैं। लव सिन्हा और पुष्पम प्रिया चौधरी जहां पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं नितिन नवीन इसी सीट से तीन बार से विधायक हैं। बताते चले कि इस बार चुनाव में यहां से 22 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं, जो अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। साल 2015 के इतिहास को देखे तो इस सीट पर भाजपा के नितिन नवीन ने कांग्रेस के कुमार आशीष को 39767 वोट से हराया था। पिछले विस चुनाव में 40.25 फीसद वोट पड़े थे। राजनीति के जानकार बताते हैं कि ये सीट कायस्थ बाहुल मानी जाती है, लेकिन यादव, मुस्लिम और दलित मतदाता काफी अहम हैं। पिछले तीन दशक से कायस्थ समुदाय से आने वाले नितिन नवीन विधायक चुने जा रहे हैं, जबकि इससे पहले उनके पिता नवीन किशोर सिन्हा यहां का प्रतिनिधित्व करते थे।
इस वजह से भी है चुनौती दे रहे लव सिन्हा
लव सिन्हा के कांग्रेस के टिकट पर उतरने से यहां मुकाबला काफी दिलचस्प हो सकता है। उन्हें महागठबंधन का भी समर्थन मिला है। इसके अलावा कायस्थ वोटों में भी सेंधमारी कर रहे हैं, क्योंकि उनके पिता शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से दो बार सांसद रह चुके हैं। हालांकि वो बीजेपी से थे। ऐसे में यहां की राजनीति में उनकी अपनी पुरानी पकड़ है, और अपने बेटे को जिताने से लिए समर्थन जुटा सकते हैं।
वोटर्स के बीच अलग पहचान बना रही पुष्पम
अखबारों में विज्ञापन के रास्ते राजनीति में प्रवेश करने वाली और अपने आपको बिहार का भावी मुख्यमंत्री कहने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी बांकीपुर से ही चुनाव मैदान में उतरी हैं। लगातार चर्चित रहने के बावजूद सार्वजनिक जगहों पर पुष्पम प्रिया चौधरी भी लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं। वो वोटर्स में अलग पहचाने में लगी हैं।
बागी बढ़ा रहे बीजेपी की मुश्किल
बीजेपी की बागी नेता सुषमा साहू काफी तेज तर्रार महिला नेत्री मानी जाती हैं। वे बिहार प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। केंद्र में नरेंद्र मोदी ने इन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग का सदस्य बनाया था। लेकिन, उन्होंने बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन भरा था। हालांकि पर्चा खारिज होने के बाद वो लव सिन्हा का समर्थन कर रही हैं। माना जाता है वैश्य समाज के तहत आने वाली साहू समाज की सुषमा साहू ने बीजेपी प्रत्याशी नवीन नितिन के लिए टेंशन बढ़ा दिया है, क्योंकि वैश्य समाज बीजेपी का मूलवोटर माना जाता है।
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