अब रिम्स में लालू से मुलाकात आसान नहीं, एक MLA पर कार्रवाई; बिहार में ओवैसी का रुख भी बढ़ा रहा परेशानी

इस बीच विवाद तूल पकड़ने के बाद जिला और रिम्स प्रशासन भी सक्रिय हो गया। प्रशासन ने भी मौके पर पहुंचकर जांच किया और जरूरी निर्देश भी दिए। रिम्स में अब लालू से किसी का मिलना आसान नहीं होगा।

Asianet News Hindi | Published : Sep 2, 2020 12:27 PM IST / Updated: Sep 02 2020, 07:04 PM IST

पटना। भ्रष्टाचार के मामले में जेल की सजा काट रहे लालू यादव को खराब हेल्थ की वजह से हाल ही में रिम्स में भर्ती कराया गया था। वो यहां निदेशक के बंगले में रखे गए हैं। लेकिन बाद में खबरे आईं कि लालू संग राजनीतिक मुलाकातों के लिए लोग यहां पहुंच रहे हैं। टिकट के दावेदारों की भी बंगले के बाहर लाइन देखी गई। इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट में भी एक याचिका दायर कर लालू को फिर से जेल शिफ्ट करने की मांग हुई है। 

इस बीच विवाद तूल पकड़ने के बाद जिला और रिम्स प्रशासन भी सक्रिय हो गया। प्रशासन ने भी मौके पर पहुंचकर जांच किया और जरूरी निर्देश भी दिए। रिम्स में अब लालू से किसी का मिलना आसान नहीं होगा। जिला प्रशासन ने कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार की गाइडलाइन को यहां भी लागू किया है। इसके तहत विशेष परिस्थिति में ही लालू से मुलाकात की अनुमति दी जाएगी। बंगले के बाहर भी पुलिस को मुस्तैद रहने को कहा गया है। 

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मिलने आई विधायक 14 दिन के लिए क्वारंटीन 
बिना अनुमति के लालू से अगर कोई मिला तो उसे 14 दिन के लिए क्वारंटीन भी किया जा सकता है। उधर, आरजेडी की एक विधायक समता देवी को झारखंड प्रशासन ने क्वारंटीन कर दिया है। समता देवी बिहार के बाराचट्टी से विधायक हैं और बुधवार को लालू से मिलने रिम्स आई थीं। बिना अनुमति के लालू से मिलने के बाद प्रशासन उन्हें 14 दिनों के लिए क्वारंटीन कर दिया है। 

विपक्ष और मीडिया की वजह से रिम्स मामले में प्रशासन की भूमिका को लेकर सवाल खड़ा हो रहा है। झारखंड में आरजेडी की राजनीतिक सहयोगी झामुमो की सरकार है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि जेल मैनुअल के नियमों को तोड़कर रिम्स में लालू का दरबार सज रहा है। कई तस्वीरें भी आईं जिसमें दर्जनों की संख्या में लालू से मुलाकात करने आए लोगों को देखा गया। इनमें ज़्यादातर टिकट के दावेदार बताए गए जो अपना बायोडाटा आरजेडी सुप्रीमो तक पहुंचाने आए थे। हालांकि मीडिया के सवालों पर मुलाकातियों ने कहा कि वो बस लालू की तबियत जानने आए थे। 

ओवैसी की सक्रियता से महागठबंधन को होगी परेशानी 
उधर, असदुद्दीन ओवैसी इस बार बिहार में काफी गंभीरता से चुनाव लड़ने के मूड में हैं। उनकी पार्टी एआईएमआईएम ने सीमांचल के मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों को जीतने का प्लान बना लिया है। किशनगंज के उपचुनाव में जीत से उत्साहित ओवैसी 50 सीटों पर चुनाव लड़ने वाले हैं। 40 सीटों का ऐलान भी कर दिया गया है। इन सीटों पर 25 से लेकर 69 प्रतिशत तक मुस्लिम मतदाता हैं। 

हालांकि ओवैसी ने गैर एनडीए दलों को गठबंधन का ऑफर भी दिया। ओवैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर महागठबंधन उम्मीदवारों को परेशान कर सकते हैं। जिन 50 सीटों पर ओवैसी सक्रिय हैं उनमें करीब 30 से ज्यादा सीटें आरजेडी, कांग्रेस और सीपीआई (एमएल) के पास हैं। हालांकि मुस्लिम लीग ने भी सीमांचल में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। लीग ने ओवैसी पर मुसलमानों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया है। 

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