
पटना। चुनाव में कितनी भी पारदर्शिता बरती जाए मगर राजनीतिक दलों को हमेशा इस बात की आशंका रहती है कि सत्ता में काबिज दल सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर मतदान प्रभावित कर सकते हैं। बिहार में तीन चरणों के चुनाव में 243 सीटों पर वोट डाले जाने हैं। उससे पहले ही आरजेडी (RJD) ने चुनाव आयोग (EC) जाकर ज्ञापन सौंपा हैं और प्रक्रिया में बदलाव की मांग की है। पार्टी प्रवक्ता मनोज झा (Manoj Kumar Jha) ने आयोग को लिखा कि आरजेडी को चुनाव में सत्ताधारी दलों से वोट में हेर फेर का डर है।
आरजेडी को किस बात का डर
आरजेडी को बैलेट पेपर से पड़ने वाले वोटों को लेकर आशंका है। चुनाव आयोग को दिए ज्ञापन में मनोज झा ने लिखा- 80 वर्ष से ज्यादा उम्र के और कोरोना पिड़ित मतदाताओं के लिए जो बैलेट पेपर की व्यवस्था की जाए, उसमें आरजेडी को अंदेशा है कि सत्ताधारी दल धांधली कर सकता है।
आरजेडी ने आयोग से गुजारिश की कि मतदान के बाद हर बूथ पर मतदान की संख्या की सत्यापित कॉपी बूथ एजेंट को भी उपलब्ध कराई जाए। आरजेडी की मांग पर जेडीयू ने तंज़ कसा है। उधर, जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा- आरजेडी ने जो आरोप लगाए हैं वो गैरजरूरी हैं। जो उनके समय में होता था वो उसी बात को दोहराना चाहते हैं। उनको पता होना चाहिए कि अब बिहार पूरी तरह से बदल चुका है।
क्यों आरजेडी को डर ?
आरजेडी ने ज्ञापन में कहा है कि पिछले साल मतगणना के बाद ईवीएम में पड़े वोट और पोलिंग बूथ के मत के मिलान में वियसंगतियां देखने को मिली थी। किसी भी विसंगति की स्थिति में पोलिंग बूथ के सत्यापित मतों को ही प्रमाणित माना जाए। निष्पक्ष चुनाव के लिए आयोग को इन तमाम पहलुओं पर विचार कर कार्रवाई करनी चाहिए।
(फाइल फोटो)
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