एक वोट की कीमत: पांच साल पहले आरा की इस सीट पर कुछ वोटों से बिखर गए थे BJP के अरमान

Published : Oct 10, 2020, 05:59 PM ISTUpdated : Oct 10, 2020, 07:52 PM IST
एक वोट की कीमत: पांच साल पहले आरा की इस सीट पर कुछ वोटों से बिखर गए थे BJP के अरमान

सार

आरा में बीजेपी ने तीन बार से लगातार चुनावी जीत हासिल कर रहे अमरेन्द्र प्रताप सिंह को मैदान में उतारा था। अमरेन्द्र के सामने आरजेडी की ओर से मोहम्मद नवाज आलम थे।

पटना/नई दिल्ली। बिहार में विधानसभा (Bihar Polls 2020) हो रहे हैं। इस बार राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर 7.2 करोड़ से ज्यादा वोटर मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 2015 में 6.7 करोड़ मतदाता थे। कोरोना महामारी (Covid-19) के बीचे चुनाव कराए जा रहे हैं। इस वजह से इस बार 7 लाख हैंडसैनिटाइजर, 46 लाख मास्क, 6 लाख PPE किट्स और फेस शील्ड, 23 लाख जोड़े ग्लब्स इस्तेमाल होंगे। यह सबकुछ मतदाताओं और मतदानकर्मियों की सुरक्षा के मद्देनजर किया जा रहा है। ताकि कोरोना के खौफ में भी लोग बिना भय के मताधिकार की शक्ति का प्रयोग कर सकें। बिहार चुनाव समेत लोकतंत्र की हर प्रक्रिया में हर एक वोट की कीमत है।

2015 में भी बिहार की आरा सीट (Arrah Vidhan Sabha constituency) पर हैरान करने वाले नतीजे आए थे। आरा के नतीजों से एक एक वोट की अहमियत सामने आई। 2015 में भी बिहार की जंग एनडीए (NDA) और महागठबंधन (Mahagathbandhan) के बीच थी। हालांकि दोनों में शामिल दलों का स्वरूप  बदल गया था। तब महागठबंधन में आरजेडी के साथ जेडीयू (JDU) शामिल हो गई थी। आरा की सीट आरजेडी (RJD) के खाते में थी। यहां आरजेडी का मुकाबला एनडीए की ओर से बीजेपी उम्मीदवार से था। 

तीन बार के चैंपियन पर बीजेपी ने लगाया था दांव  
आरा में बीजेपी ने तीन बार से लगातार चुनावी जीत हासिल कर रहे अमरेन्द्र प्रताप सिंह (Amrendra Pratap Singh) को मैदान में उतारा था। अमरेन्द्र के सामने आरजेडी की ओर से मोहम्मद नवाज आलम (    Mohammad Nawaz Alam) थे। 2015 से पहले जेडीयू के साथ होने से बीजेपी (BJP) ये सीट लगातार जीतती आ रही थी। लेकिन जब जेडीयू अलग हो गई तब इस सीट पर बीजेपी का गणित गड़बड़ दिखने लगा। हालांकि बीजेपी ने फिर वापसी के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। 

आरा में हुई थी जबरदस्त लड़ाई 
दोनों उम्मीदवारों ने एक-दूसरे के खिलाफ जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। बीजेपी के कई दिग्गज भी अमरेन्द्र की जीत सुनिश्चित करने के लिए आरा आए। मकसद सिर्फ एक था कि किसी तरह से आरा के गढ़ को बचा लिया जाए। मतगणना में जेडीयू से अलग होकर चुनाव लड़ रही बीजेपी की ताकत भी दिखी। रुझान जिस तरह से आ रहे थे उससे लग भी रहा था कि बीजेपी ये सीट जीत सकती है। लेकिन जैसे-जैसे मतगणना के राउंड खत्म होने लगे अनिश्चितता के बादल नजर आने लगे। आखिरी राउंड की काउंटिंग के बाद वह हुआ जिसकी बीजेपी को आशंका थी। 

काउंटिंग खत्म होते ही ध्वस्त हो गए बीजेपी के अरमान 
काउंटिंग खत्म होने के साथ बीजेपी सिर्फ 666 वोटों से आरा का किला हार चुकी थी। सीटिंग एमएलए अमरेंद्र प्रताप सिंह को 69,338 वोट मिले। जबकि जीत हासिल करने वाले आरजेडी उम्मीदवार मोहम्मद नवाज आलम को 70,004 वोट हासिल हुए। बीजेपी समर्थकों को एक एक वोट की कमी महसूस हुई। जब आरजेडी समर्थकों के लिए वही एक-एक वोट जश्न की वजह बन गए। एक वोट की कीमत पूछने वालों के लिए शायद 2015 में आरा के चुनाव नतीजों से बेहतर उदाहरण नहीं मिलेगा। चुनाव में हर वोट कीमती है।

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