बिहार की इस सीट पर कुछ वोटों से निर्दलीय ने दी थी बड़े दलों के दिग्गजों को मात, लोग याद करते हैं नतीजे

बिहार में अलग-अलग चुनावों में वैसे तो दर्जनभर मौके आए हैं जब हार-जीत का फैसला बेहद कम मतों से हुआ। मगर इनमें एक दिलचस्प नतीजा ऐसा भी है जब निर्दलीय प्रत्याशी ने बड़े दलों के दिग्गजों को नाक से चने चबवा दिए थे।

Asianet News Hindi | Published : Nov 5, 2020 8:27 AM IST / Updated: Nov 05 2020, 02:02 PM IST

पटना। बिहार में विधानसभा (Bihar Polls 2020) हो रहे हैं। इस बार राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर 7.2 करोड़ से ज्यादा वोटर मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 2015 में 6.7 करोड़ मतदाता थे। कोरोना महामारी (Covid-19) के बीचे चुनाव कराए जा रहे हैं। इस वजह से इस बार 7 लाख हैंडसैनिटाइजर, 46 लाख मास्क, 6 लाख PPE किट्स और फेस शील्ड, 23 लाख जोड़े ग्लब्स इस्तेमाल होंगे। यह सबकुछ मतदाताओं और मतदानकर्मियों की सुरक्षा के मद्देनजर किया जा रहा है। ताकि कोरोना के खौफ में भी लोग बिना भय के मताधिकार की शक्ति का प्रयोग कर सकें। बिहार चुनाव समेत लोकतंत्र की हर प्रक्रिया में हर एक वोट की कीमत है।

बिहार में अलग-अलग चुनावों में वैसे तो दर्जनभर मौके आए हैं जब हार-जीत का फैसला बेहद कम मतों से हुआ। मगर इनमें एक दिलचस्प नतीजा ऐसा भी है जब निर्दलीय प्रत्याशी ने बड़े दलों के दिग्गजों को नाक से चने चबवा दिए थे। बात औरंगाबाद जिले की ओबरा विधानसभा सीट पर 2010 में हुए चुनाव की हो रही है। ओबरा सामान्य विधानसभा सीट है जो फिलहाल काराकट लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। 2010 में विधायक बनने के लिए यहां से कुल 11 प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें राष्ट्रीय और बिहार के दिग्गज क्षेत्रीय दल शामिल थे। लेकिन दलों ने अपनी साख के अनुरूप प्रदर्शन नहीं किया। 

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बड़े दल कर रहे थे निर्दलीय से मुक़ाबला 
2010 के चुनाव में ओबरा से आरजेडी ने सत्य नारायण, कांग्रेस ने अरविंद कुमार, एनडीए कोटे से जेडीयू ने प्रमोद सिंह, सीपीआई एमएल ने राजराम को टिकट दिया था। कई निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में थे। इनमें सबसे अहम सोमप्रकाश सिंह थे। निर्दलीय सोमप्रकाश के अभियान ने पूरे चुनाव को दिलचस्प बना दिया था। सोमप्रकाश से सीधी लड़ाई में सिर्फ जेडीयू के प्रमोद सिंह थे। बाकी के उम्मीदवार कैम्पेन में थे, लेकिन हार-जीत की रेस से बाहर दिख रहे थे। 

 

सिर्फ 802 मतों से निर्दलीय ने जीत ली थी सीट 
मतगणना जब शुरू हुई तो यह और साफ हो गया। राउंड दर राउंड ओबरा की लड़ाई निर्दलीय सोमप्रकाश और जेडीयू के प्रमोद सिंह के बीच सिमटती नजर आई। एक-दूसरे से बढ़त का अंतर इतना कम था कि प्रत्याशियों को मिलने वाला हर एक वोट बेशकीमती हो गया। आखिर में सबको चौंकाते हुए निर्दलीय सोमप्रकाश ने ये सीट मात्र 802 मतों से जीत ली। सोमप्रकाश को 36,816 वोट मिले। 

कई कोण की लड़ाई में फंस गए बड़े दल 
दूसरे नंबर पर आरजेडी के प्रमोद सिंह थे। उन्हें 36, 014 वोट मिले। 18,463 मतों के साथ सीपीआई एमएल के राजाराम तीसरे नंबर थे। आरजेडी प्रत्याशी को 16,856 वोट मिला। कांग्रेस प्रत्याशी को 13,201 मत मिले। सीपीआई एमएल, आरजेडी और कांग्रेस प्रत्याशियों ने वोट तो काफी हासिल किए मगर कई कोण की लड़ाई में निर्दलीय सोमप्रकाश को ओबरा जीतने से नहीं रोक पाए। औरंगाबाद में लोगों ने चुनावी प्रक्रिया में एक-एक वोट की कीमत देखी। हालांकि 2015 के बदले राजनीति माहौल में जेडीयू का साथ पाकर आरजेडी के वीरेंद्र ने ये सीट जीत ली थी। सोमप्रकाश 10 हजार से कुछ ज्यादा वोट पाकर चौथे स्थान पर चले गए। 

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