
मुंगेर। 21 मार्च को मुंगेर के एक युवक की मौत पटना एम्स में हुई थी। 22 मार्च को उसके कोरोना पॉजिटिव होने का खुलासा हुआ था। अबतक उस युवक के संपर्क में आए 10 लोगों में कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। जिनका भागलपुर और पटना में इलाज चल रहा है। इस बीच कोरोना चेन से पॉजिटिव हुए निजी अस्पताल के एंबुलेंस चालक के पड़ोस की एक बच्ची की भी मौत हो गई। बताया जाता है कि एंबुलेंस चालक के पड़ोसी की 8 वर्षीय बेटी को बुखार, सर्दी, खांसी होने पर परिजन इलाज के लिए सदर अस्पताल ले गए थे।
मौत के बाद बच्ची का नहीं लिया गया सैंपल
जहां ड्यूटी पर तैनात डॉ. के रंजन ने बच्ची को देखकर दवा देकर वापस घर भेज दिया। दवा से उसे राहत नहीं मिली, इसके बाद अगले दिन परिजन बच्ची को फिर सदर अस्पताल ले गए जहां उसने दम तोड़ दिया। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल पहुंचने से पहली ही बच्ची की मौत हो चुकी थी। परिजन रात को ही शव लेकर घर आ गए।
बच्ची को नमाज के बाद दफना दिया गया। दफनाने से कुछ देर पहले स्वास्थ्य विभाग के चार कर्मचारी भी वहां पहुंचे। सभी सेफ्टी किट पहने थे। उन्होंने बच्ची के पिता को भी सेफ्टी किट पहनाया लेकिन शव को किट नहीं पहनाया गया और न ही उसका कोई सैंपल लिया गया।
बच्ची की मौत पर डॉक्टरों ने साधी चुप्पी
बच्ची की मौत क्यों हुई, इस सवाल का जवाब डॉक्टर नहीं दे सके। लेकिन शव दफनाने के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने जिस तरह की सावधानियां बरती, उससे उस बच्ची के भी कोरोना पॉजिटिव होने की आशंका जताई जा रही है। बच्ची की मौत के बाद इलाके में दहशत है। लोगों का कहना है कि जिस इलाके में कोरोना पॉजिटिव एंबुलेंस चालक का घर है उस इलाके को पुलिस-प्रशासन ने सील नहीं किया।
बच्ची अक्सर पड़ोस में खेलने के लिए जाया करती थी। पहले चालक एंबुलेंस लेकर घर पर आता था तो वह उसी एंबुलेंस में बैठकर खेलती थी। लेकिन मौत के बाद न तो बच्ची का सैंपल लिया गया न हीं उसकी जांच की गई। इससे इलाके में कोरोना फैलने का खतरा बढ़ गया है।
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