विपक्ष के हंगामे के बीच CAA को CM का समर्थन, NRC और NPR पर भी खुलकर बोले नीतीश कुमार

नागरिकता संशोधन कानून जब से लागू हुआ है, तब से पूरे देश में लगातार सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर विरोध-प्रदर्शन चल रहा है। इन दिनों बिहार विधानसभा का सत्र चल रहा है। जहां विपक्षी पार्टियां इसका जमकर विरोध कर रही है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 25, 2020 10:21 AM IST

पटना। बिहार विधानसभा में मंगलवार को विपक्षी पार्टियों के भारी विरोध और हंगामे के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का समर्थन किया। नीतीश ने कहा कि सीएए तीन देशों की अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा के लिए है। यह केंद्र का कानून है। ये सही है या गलत है इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट को करना है। साथ ही उन्होंने कहा कि सीएए का प्रस्ताव 2003 में आया था। तब कांग्रेस के लोगों ने इसका समर्थन किया था। सीएए बनाने वाली कमेटी में लालू प्रसाद यादव भी शामिल थे। मैंने उसके दस्तावेजों को देखा है, प्रियरंजन दास और नजमा हेपतुल्ला ने भी इसका समर्थन किया था। हालांकि एनआरसी के मुद्दे पर सीएम ने साफ कहा कि इसे बिहार में लागू नहीं किया जाएगा। 

एनआरसी पर पुराना रुख कायम, लागू नहीं होगा
एनआरसी के बारे में नीतीश कुमार ने कहा कि इसका कोई प्रस्ताव अभी तक नहीं आया है। एनआरसी पर मेरी केंद्र सरकार से कोई चर्चा नहीं हुई है। अपने पुराने दावे पर खड़े नीतीश ने एक बार फिर कहा बिहार में एआरसी लागू नहीं किया जाएगा। वहीं एनपीआर के बारे में नीतीश ने कहा कि 2010 के प्रावधान के अनुसार एनपीआर को बिहार में लागू किया जाएगा। उनसे पहेल डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने भी यही कहा कि एनपीआर 2010 के प्रावधान के अनुसार बिहार में लागू  किया जाएगा। 

जातिगत जनगणना की सीएम ने फिर उठाई मांग
इसके साथ ही नीतीश ने विधानसभा में कहा कि वो फिर से जातिगत जनगणना के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने वाले है। बता दें कि एनआरसी, एनपीआर और सीएए को लेकर जारी देशव्यापी विरोध बिहार में भी दिख रहा है। बिहार के कई जिलों में मुस्लिम समुदाय के लोग एक महीने से भी ज्यादा समय से लगातार धरने पर बैठे है। लेफ्ट नेता कन्हैया कुमार, राजद नेता तेजस्वी यादव, जाप नेता पप्पू यादव समेत कई विपक्षी नेता इस मुद्दे पर बिहार की यात्रा कर धरना दे रहे लोगों को अपना समर्थन दे चुके हैं। इन दिनों जब से विधानसभा का सत्र शुरू हुआ था तब से विपक्षी दलों के सदस्य इसके खिलाफ विरोध कर रहे थे। 

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