लॉकडाउन में दिल्ली-मुंबई छोड़ बिहार आए लोगों को ऐसे घर में ही रोजगार देगी सरकार

कोरोना से बचाव के लिए जारी लॉकडाउन में रोजी-रोटी छिन जाने के बाद बड़ी संख्या में बाहर में नौकरी और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले बिहारी मजदूर बिहार आए हैं। इन लोगों को राज्य में भी रोजगार की घोषणा नीतीश सरकार ने की है। 

पटना। भारत का शायद ही ऐसा कोई राज्य हो, जहां रोजी-रोटी की तलाश में बिहार के लोग नहीं हो। दिल्ली, गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में बिहार मजदूर काम करते हैं। कोरोना संकट में बिहार के लाखों मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई। लॉकडाउन लगने के बाद काम-धंधा बंद हो गया। जिसके बाद बड़ी संख्या में बिहारी मजदूर अलग-अलग राज्यों से बिहार पहुंचे। अपने घर लौटने के बाद भी इन लोगों की समस्याएं कम नहीं हुई है। बिहार में अब इन लोगों के सामने रोजगार की समस्या सबसे बड़ी दिक्कत बनकर उभरी है। लेकिन इस समस्या को समाप्त करने के लिए बिहार सरकार आगे आई है। 

रोजगार सेवक घूम-घू्म कर लेंगे आवेदन
लॉकडाउन की वजह से अपनी आजीविका गंवा बैठे प्रवासियों को राज्य में ही रोजगार मुहैया कराने की तैयारी शुरू हो गई है। अब ऐसे सभी प्रवासियों को मांग के आधार पर मनरेगा से रोजगार दिया जाएगा। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद पंचायत रोजगार सेवक गांव में घूम-घूम कर काम करने के इच्छुक व्यस्कों का आवेदन प्राप्त करेंगे। ग्रामीण विकास विभाग ने जिलों को इस संबंध में कार्रवाई का आदेश दिया है।

विभाग ने सभी जिलों के डीएम और डीडीसी को पहले से चयनित सभी योजनाओं पर काम शुरू करने की तमाम प्रक्रियाओं को अभी से पूरा कर लेने के लिए कहा है। बिहार में इस वर्ष 18 करोड़ कार्य दिवस का लक्ष्य है। सरकार दिहाड़ी मजदूरों के सामने आजीविका का संकट नहीं आने देगी।

केंद्र ने 1078 करोड़ रुपए राज्य सरकार को दिए
मनरेगा भुगतान और लोगों को रोजगार देने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को 1078 करोड़ रुपए का आवंटन कर दिया है। इस राशि में से बीते दो वित्तीय वर्ष के बकाया मजदूरी का भुगतान किया जाएगा। साथ ही बिहार में आए लोगों को कम से कम 100 दिनों का रोजगार देने की योजना पर काम चल रहा है।

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ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि मनरेगा में पैसों की कमी नहीं होने दी जाएगी और कोशिश होगी कि गांव में ही तत्काल काम दिलाया जाएगा। काम की खोज के लिए अफसरों को निर्देश दिया गया है। इस वर्ष मनरेगा के तहत 18 करोड़ मानव दिवस का सृजन किया गया है। किसी भी मजदूर को अगर काम नहीं मिलता है तो वह इसकी शिकायत दर्ज करा सकता है।

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