केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ने, कर्ज लेने की लिमिट चार फीसदी होने और आंतरिक स्रोतों से मिले आय के आधार पर इस बार बजट आकार 2.40 लाख करोड़ होने का अनुमान है। आगामी वित्तीय वर्ष के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से पिछले साल के मुकाबले 1100 करोड़ रुपए से अधिक मिलने की उम्मीद है।
पटना : बिहार (Bihar) में 25 फरवरी से विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत होने जा रही है। 31 मार्च तक चलने वाले इस बजट सत्र में कुल 22 बैठक होंगी। 28 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2022-23 के आय-व्यय को लेकर बजट (Bihar Budget 2022) पेश किया जाएगा। इस बार बजट से जनता को काफी उम्मीदें हैं। सरकार के सामने शिक्षा, रोजगार, महंगाई पलायन जैसी कई चुनौतियां हैं। इसलिए हर वर्ग की निगाह नीतीश सरकार की तरफ टिकी हैं। सभी को उम्मीद है कि इस बार सरकार उन्हें राहत देगी और बजट से राज्य के विकास को पंख लगेगा।
कितने करोड़ का होगा बजट
जानकारी मिल रही है कि कोरोना की थर्ड वेव के बावजूद राज्य की अर्थव्यवस्था पर इसका कुछ ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ने, कर्ज लेने की लिमिट चार फीसदी होने और आंतरिक स्रोतों से मिले आय के आधार पर इस बार बजट आकार 2.40 लाख करोड़ होने का अनुमान है। आगामी वित्तीय वर्ष के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से पिछले साल के मुकाबले 1100 करोड़ रुपए से अधिक मिलने की उम्मीद है। इसी तरह, अन्य मदों में भी बिहार को केंद्रीय बजट से काफी आशाएं हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इस बार के बजट में करीब 10 फीसदी तक बढ़ोतरी होने की संभावना है। यानी 22 से 24 हजार करोड़ की वृद्धि हो सकती है।
पिछले पांच साल में बजट का आकार
वित्तीय वर्ष बजट आकार (लाख करोड़ में)
2017-18 1,60,085
2018-19 1,76,990
2019-20 2,00,501
2020-21 2,11,761
2021-22 2,18,302
इन क्षेत्रों में होगा सरकार का फोकस
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बार सरकार का फोकस स्वास्थ्य व्यवस्था के ढांचे को मजबूत करने पर है। नए अस्पतालों का निर्माण, मरीजों के जांच और इलाज की सुविधाओं में बढ़ोतरी सरकार बजट में बजट में दिखाई दे सकता है। इसके साथ ही आधी आबादी का विकास को सरकार ने केंद्र में रखा है। छात्राओं के लिए स्कूली शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में सहूलियत, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के दिशा में कवायद, महिला सशक्तिकरण पर जोर भी सरकार के बजट में दिखाई दे सकता है।
बजट में डिजिटल बिहार की झलक
इस बार के बजट में डिजिटल बिहार की झलक देखने को मिल सकता है। डिजिटल बिहार कार्यक्रम के तहत 6वीं कक्षा और उससे ऊपर की कक्षाओं के छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा और ट्रेनिंग पर जोर दिया जाएगा। बिहार बजट पर केंद्र सरकार की गति शक्ति योजना का भी प्रभाव भी दिखाई देगा। इसके आधार पर नई परियोजनाएं लेने की तैयारी है। इनमें आधारभूत संरचना के विकास से जुड़े विषयों सड़क, बिजली, संचार क्षेत्रों में विकास की गति को तेज करने का प्रावधान शामिल है।
बजट से उम्मीदें
इस बार के बजट से सभी वर्गों को नीतीश सरकार से काफी उम्मीदें हैं। इनमें महिलाएं, युवा और व्यापारी वर्ग सरकार के आस लगाए बैठे हैं कि इस बार उनके लिए सरकार के पिटारे में कुछ खास होगा। आइए जानते हैं किस वर्ग को क्या उम्मीद है..
महिलाओं को उम्मीद- महंगाई से मिलेगा निजात
राज्य सरकार महंगाई और बेरोजगारी को देखते हुए बजट पेश करेगी। ऐसे में बजट से राज्य के लोगों को काफी उम्मीदें हैं। राज्य सरकार के बजट से महिलाएं काफी उम्मीदें लगाए बैठी हैं।
महिलाओं का यह कहना है कि सभी कोरोना महामारी से दो सालों से परेशान हैं। कमाई भी पहले के जैसे रही नहीं और महंगाई आसमान छू रही है। घर का खर्चा, रसोई चलाना अब पहले जैसा बिल्कुल भी नहीं रहा। घर का खर्चा तो दोगुना हो गया जबकि कमाई कम। ऐसे में सरकार को बजट में महंगाई पर फोकस करना चाहिए। उम्मीद है कि सरकार रोजमर्रा के सामानों का ख्याल करते हुए बजट पेश करेगी।
युवाओं को बजट से उम्मीद
बिहार में चुनाव के दौरान घोषणा पत्र में NDA ने रोजगार को लेकर बड़े वादे किए थे लेकिन अब तक धरातल पर ये दिखाई नहीं दे पाए हैं। ऐसे में युवाओं की नजर खासतौर पर इस बार के बजट पर टिकी है। कोविड काल में कई लोग बेरोजगार हो गए हैं। इसलिए युवा रोजगार के साथ-साथ शिक्षा को लेकर भी कई उम्मीद पाले हुए हैं।
व्यापारी वर्ग को बजट उम्मीदें
हर वर्ग के साथ व्यापारी वर्ग भी नीतीश सरकार के बजट से उम्मीद लगाए बैठे हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार बजट में ऐसी व्यवस्था करे, जिससे व्यापारियों को ऋण आसानी से मिल सके। इसके साथ ही रोजगार के लिए सरकार 10 लाख रुपए का लोन देती है, उसको बढाकर 20 लाख करे, जिससे व्यापारी अपना व्यापार बढ़ा सके। व्यापारी वर्ग का कहना है कि महंगाई काफी बढ़ गई है, जिसको ध्यान में रखते हुए बजट पेश किया जाए। व्यापारी वर्ग ही सबसे ज्यादा सरकार को टैक्स देते हैं। ऐसे में सरकार व्यापारियों के हित में पेंशन योजना लागू करे, ताकि 60 साल के बाद व्यापारियों को भी पेंशन मिले। वहीं कुछ व्यापारियों का कहना है कि सरकार ऐसी व्यवस्था करे ताकि व्यापारियों की सुरक्षा मिल सके। हाल के दिनों में जिस तरह से कई व्यापारियों के साथ लूटपाट की घटना हुई है, कई लोगों को मार दिया गया है, इसलिए बजट में सरकार सबसे पहले व्यापारी की सुरक्षा की बात करे।
सरकारी खजाने में राजस्व
वित्त विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 31 दिसंबर को समाप्त हुए तीसरी तिमाही तक एक लाख 9 हजार 131 करोड़ राजस्व सरकारी खजाने में जमा हो चुका है। पिछले वित्तीय वर्ष से इसकी तुलना करें तो इसी अवधि में पिछले साल 96,722 करोड़ के करीब राजस्व संग्रह हुआ था। उस हिसाब से वर्तमान वित्तीय वर्ष में 13,000 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हो चुका है। हालांकि दिसंबर तक बात करें तो राजस्व वसूली का जो लक्ष्य है वह 52 फीसदी के आसपास ही है। इसमें मार्च तक जरूर अच्छी खासी बढ़ोतरी की उम्मीद है। कोरोना की तीसरी लहर की समाप्ति के बाद पेट्रोल-डीजल से होने वाली राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही स्टांप और रजिस्ट्री शुल्क और अन्य राजस्व में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है और यह सरकार के लिए अच्छे संकेत हैं।
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