करपी APHC में रैपिड एंटीजन टेस्ट किट से जांच के नाम पर सैकड़ों लोगों के नाम फर्जी तरीके से डाल दिए गए। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, सोनिया गांधी और फिल्म अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा जैसी हस्तियों के नाम शामिल हैं। लिस्ट में दर्जनों राजनेताओं के नाम के साथ मोबाइल नंबर भी पूरी तरीके से गलत हैं।
अरवल : बिहार (Bihar) के अरवल (Arwal) जिले में RTPCR टेस्ट और कोरोना वैक्सीनेशन (Covid Vaccination) के नाम पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। मामला करपी APHC का है, जहां रैपिड एंटीजन टेस्ट किट से जांच के नाम पर सैकड़ों लोगों के नाम फर्जी तरीके से डाल दिए गए। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah), सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और फिल्म अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) जैसी हस्तियों के नाम शामिल हैं। लिस्ट में दर्जनों राजनेताओं के नाम के साथ मोबाइल नंबर भी पूरी तरीके से गलत हैं। वहीं मामला सामने आने के बाद दो डाटा ऑपरेटरों को नौकरी से हटा दिया गया है। उनका आरोप है कि उन्होंने स्वास्थ्य प्रबंधक के दबाव में ऐसा किया है।
क्या है पूरा मामला?
अरवल के करपी अस्पताल में वैक्सीनेशन करवाने वालों में कई नामचीन फिल्मी हस्तियों के नाम भी शामिल हैं। इनमें पीएम मोदी, अमित शाह, सोनिया गांधी के अलावा प्रियंका चोपड़ा, कैटरीना कैफ (Katrina Kaif), ऐश्वर्या राय बच्चन (Aishwarya Rai Bachchan) समेत कई फिल्मी सितारों के नाम भी शामिल हैं। रिकॉर्ड के मुताबिक, इन सभी ने अरवल में कोरोना का टीका लगवाया है। मामला सामने आने के बाद राज्य स्वास्थ्य समिति ने स्वास्थ्य विभाग को फटकार लगाया है। हालांकि इस मामले में स्वास्थ्य विभाग का कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने से सीधे तौर पर बच रहा है।
पीएम मोदी को अरवल का बताया
जिन कागजों में पीएम मोदी को वैक्सीन लगवाने वाली लिस्ट में शामिल किया गया है, उसके मुताबिक प्रधानमंत्री का पता अरवल जिले के करपी ब्लॉक के पुराण गांव बताया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम और पता करपी के दो अलग-अलग गांवों में दर्शाया गया है। इसके साथ ही सभी हस्तियों का नाम, पता और मोबाइल नंबर गलत बताया गया है। स्वास्थ्य महकमे के इस कारनामे से हर कोई हैरान है।
दो ऑपरेटर नौकरी से हटाए गए
मामला सामने आने के बाद दो डाटा ऑपरेटरों को नौकरी से हटा दिया गया है। हटाए गए आपरेटरों ने स्वास्थ्य प्रबंधक को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि उन लोगों को डाटा दिया भी नहीं जाता था और जबरन एंट्री डालने का दबाव हेल्थ मैनेजर देता था। जो डाटा दिया गया उनकी एंट्री की है। उन पर दबाव दिया जाता था। जब बात ऊपर तक गई तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है।
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