सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार को शराबबंदी को लेकर पटना के ज्ञान भवन में सभी सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों-कर्मियों को शराब ना पीने और ना बिकने देने की शपथ दिलाई। जिसमें विधायक मंत्री से लेकर बड़े-बड़े अधिकारी भी मौजूद थे।
पटना. कहने को तो बिहार (Bihar) में शराबबंदी (liquor ban) है लेकिन ऐसा कहीं भी दिखाई नहीं देता है। क्योंकि पिछले महीने ही जहरीली शराब पीने से दर्जनों लोगों की मौत हो गई। इसको लेकर नीतीश सरकार पर कई बार सवाल उठ चुके हैं। विपक्ष ने लगातार सरकार को आड़े हाथों लिया है। 26 नवंबर को बिहार नशा मुक्ति दिवस के रुप में मनाता है, क्योंकि आज के ही दिन 2016 में प्रदेश में शराबंदी का ऐलान हुआ था। इस अवसर पर सीएम नीतीश कुमार (cm nitish kumar) ने सभी विभागों अधिकारी खासकर पुलिस विभाग के अफसरों को 'न पियेंगे...न ही बिकने देंगे' के तहत शपथ (liquor ban oath ceremony) दिलाई गई।
डीजीपी से लेकर मंत्री विधायक ने ली शराब नहीं पीने की शपथ
दरअसल, सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार को शराबबंदी को लेकर पटना के ज्ञान भवन में सभी सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों-कर्मियों को शराब ना पीने और ना बिकने देने की शपथ दिलाई। यह कार्यक्रम का आयोजन मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग ने करवाया था। जिसमें विधायक मंत्री से लेकर बड़े-बड़े अधिकारी भी मौजूद थे। वहीं पटना के पुलिस मुख्यालय में बिहार के डीजीपी संजीव कुमार सिंघल, एडीजी पुलिस मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार समेत बिहार के आला अधिकारी मौजूद रहे।
'जो अधिकारी भी गड़बड़ करेंगे उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा'
शपथ ग्रहण के दौरान सीएम नीतीश कुमार को अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि राजधानी पटना में शराब पर कंट्रोल करें, अगर आपने पटना पर नियंत्रण कर लिया तो पूरा बिहार अपने आप नियंत्रण में आ जाएगा। हालांकि, सीएम ने यह भी कहा कि पहले तो पटना कंट्रोल में नहीं था, लेकिन अब इसका परिणाम अच्छा दिख रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध शराब की जाकारी मिलने पर होटलों, शादी स्थल या कही भी जांच होगी, भले ही वहां कोई कार्यक्रम या शादी की पार्टी क्यों न हो?। सूचना मिलने पर हर जगह जांच होगी भले ही वहां महिला ही क्यों न हो। किसी को नहीं छोड़ना है। सीएम साफ कहा कि जो अधिकारी भी गड़बड़ करेंगे उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी पर एक जैसी कानूनी कार्रवाई करें।
शराबबंदी तब से अब तक
2018 में ये बदलाव हुए
शराबबंदी के बाद कितना असर
बिहार में खुलेआम शराब बिकनी बंद हो गई लेकिन पड़ोसी देश नेपाल (nepal) और फिर दूसरे राज्यों जैसे यूपी और झारखंड (jharkhand) से इनकी पूर्ति होने लगी। पड़ोस के राज्यों से सटे लोग केवल पीने के लिए दो-तीन घंटे के सफर से नहीं हिचकते। चोरी-छिपे शराब को राज्य में लाने का खेल भी खूब होने लगा। एक पूरा नेटवर्क तैयार हो गया है जो डिमांड पूरी करने लगा। राज्य में पंचायत तक शराब माफियाओं की पैठ है। शराब की अवैध भट्ठियां हैं। देसी से विदेशी तक शराब की होम डिलीवरी है। कानून को लागू करनेवाले के माफिया से मिले होने के आरोप भी लगतेरहे हैं। पैसे के दम पर शराब सिंडिकेट बोली लगाने लगे। आरोप लगे कि सब कुछ पता रहते हुए भी ऊपर से लेकर नीचे तक सभी चुप हैं। माफियाओं को किसी का डर नहीं है। घूस लेने वाले हैं। घूस देनेवाले हैं। शराब पकड़ी जाती है। शराब बेची जाती है। शराब के गोदाम हैं। शराब के रिटेलर हैं। शराब के सप्लायर हैं। उत्पाद विभाग है। पुलिस है। नाकेबंदी है। सभी बेड़ों को पार कर शराब गांवों तक पहुंचता है।