
पटना. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटी मार ली। मंगलवार को उन्होंने एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया। भाजपा का साथ छोड़ने के बाद नीतीश कुमार फिर से राजद, कांग्रेस औ्रर लेफ्ट यानि महागठबंधन के सहयोग से बिहार में सरकार बनाएंगे। कयास लगाया जा रहा है कि नीतीश कुछ दिनों में दोबारा महागठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे।
1998 में ही भाजपा के साथ थे, मोदी विरोध में 2013 में छोड़ा साथ
नीतीश कुमार की पार्टी जदयू भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी मानी जाती थी। जदयू और बीजेपी के बीच पहली बार 1998 में गठबंधन हुआ था। लेकिन 17 साल बाद 2013 में जदयू ने भाजपा का साथ छोड़ा था। 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए जब नरेंद्र मोदी को प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया तो नीतीश कुमार ने 17 साल पुरानी दोस्ती तोड़ दी थी।
40 साल के सियासी सफर में कई बार छोड़ चूके हैं सहयोगियों का साथ
नीतीश कुमार के द्वारा अपने सहयोगी साथी को छोड़ने की यह घटना कोई नया नहीं है। अपने 40 साल के राजनीतिक सफर में नीतीश कुमार कई बार ऐसा कारनामा कर चुके हैं। नीतीश कुमार का उदय जेपी आंदोलन से हुआ था। इसके बाद से अब तक लगभग 40 साल हो गए, वे हमेशा की बिहार की राजनीति में चर्चा का विषय बने रहते थे। इन 40 सालों में वे 17 साल से बिहार के सत्ता में हैं। इस दौरान नीतीश ने कई बार अपने सहयोगियों का साथ छोड़ा, लेकिन कभी भी सत्ता से बाहर नहीं गए।
2015 में राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर हासिल की बड़ी जीत
नीतीश कुमार ने 2015 में लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस चुनाव में राजद ने 80 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि जदयू ने 71 सीटों पर कब्जा जमाया था। इस बड़ी जीत के बाद नीतीश कुमार महागठबंधन के नेता बने और 5वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
2017 में तेजस्वी पर लगे आरोप का बहान बना फिर से बीजेपी में लौटे
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017 में बंफर जीत के बाद बनी सरकार को भी तोड़ दिया। 26 जुलाई 2017 को नीतीश कुमार ने प्रदेश के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। उस दौरान भ्रष्टाचार के आरोप में डिप्टी सीएम तेजस्वी से इस्तीफे की मांग बढ़ने लगी थी। तब नीतीश कुमार ने यह कहते हुए इस्तीफा दिया कि ऐसे माहौल में काम करना मुश्किल हो गया था। इसके बाद नीतीश कुमार ने फिर बीजेपी और सहयोगी पार्टियों की मदद से सरकार बनाई।
2020 के चुनाव के बाद ही बीजेपी-जदयू में सब कुछ ठीक नहीं था
2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन ने जीत तो हासिल की, लेकिन के जदयू विधायकों की संख्या काफी कम हुई। तब इसका कारण चिराग पासवान को माना गया था। कहा गया कि नीतीश को कमजोर करने के लिए भाजपा ने चिराग का साथ दिया था। तब नीतीश सीएम तो बने लेकिन विधायकों की संख्या कमने का मलाल उन्हें था।
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